एमएमडीयू ने महिला दिवस पर अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया
एमएमडीयू ने महिला दिवस पर अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया
बराड़ा/मुलाना(जयबीर राणा थंबड़)कृषि विभाग,एमएमडीयू मुलाना ने ओपेरा,कनाडा,डीओएचएडी,कनाडा,आईएफएसडीएए,जर्मनी और एसएसएआरएम,भारत के सहयोग से 8 मार्च,अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं और नवजात स्वास्थ्य पर अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया। डॉ.पूजा मलिक ने वेबिनार की मेजबानी की और कार्यवाही की एंकरिंग की। वेबिनार का नेतृत्व प्रोफेसर डेविड सहित चिकित्सा और कृषि विज्ञान में विश्व प्रसिद्ध प्रोफेसरों द्वारा किया गया था।कनाडा से प्रोफ़ेसर स्लोबोडा,ऑस्ट्रेलिया से प्रो.रिचर्ड सेफ़री,डॉ.के.डब्ल्यू.जियोर्जिस जर्मनी सेऔर प्रो.डी.पी.भारत से सिंह इन आकाओं ने अपने युवा शोधकर्ता को अपनी प्रयोगशालाओं से शोध परिणामों को उजागर करने के लिए प्रेरित किया। प्रारंभ में प्रो.डी.पी.सिंह,अध्यक्ष एसएएआरएम ने वक्ताओं और प्रतिभागियों को बधाई दी और शारीरिक श्रम और पोषण के संबंध में भारतीय परिदृश्य में महिलाओं की स्थिति पर जोर दिया, जो कि गंभीर है। एएएसएफ जर्मनी के अध्यक्ष डॉ.के.डब्ल्यू.जॉर्जिस ने अफ्रीका में गर्भावस्था के समय में शामिल विभिन्न अनुष्ठानों और प्रथाओं पर ध्यान दिया। उन्होंने स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली पर प्रकाश डाला और इस बात पर जोर दिया कि अफ्रीकी संदर्भ में इसमें बहुत सुधार हुआ है। प्रो. (डॉ.)वीरेंद्र सिंह पाहिल,निदेशक तथा डीन,कृषि विभाग,एमएमडीयू मुलाना ने मेंटर्स,संगठनात्मक प्रमुख वक्ताओं और प्रतिभागियों का हार्दिक स्वागत किया।
उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सभी को बधाई दी और भारतीय परिदृश्य में कृषि में महिलाओं की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि शिक्षा,नौकरियों और नागरिक समाज में उनकी स्थिति में महिला सशक्तिकरण के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है। प्रो.स्लोबोडा ने डीओएचएडी सोसाइटी की ओर से बधाई दी जो स्वास्थ्य और रोग के विकास के मूल की जांच में लगी हुई है। ऑस्ट्रेलिया के प्रो.रिचर्ड सेफ़री ने इष्टतम गर्भावस्था के वातावरण और नवजात स्वास्थ्य का निर्धारण करने में आनुवंशिक,पोषण और पर्यावरणीय कारकों के बीच एपिजेनेटिक इंटरैक्शन के महत्व पर प्रकाश डाला। कनाडा की डॉ.केट कैनेडी ने अपने व्याख्यान में भ्रूण के विकास, इष्टतम गर्भावस्था के वातावरण,सामान्य और सुरक्षित जन्म और नवजात स्वास्थ्य पर भोजन की पसंद से प्राप्त आंत माइक्रोबायोम के प्रभाव पर परिणाम प्रस्तुत किए। कनाडा की रिसर्च स्कॉलर नायरा लोप्स ने इस बात पर जोर दिया कि COVID-19 युग की तरह मनोवैज्ञानिक अलगाव, भ्रूण का विकास और नवजात शिशुओं का स्वास्थ्य और ये प्रतिकूल प्रभाव अगली पीढ़ी पर पड़ते हैं। प्रो. रूबी भाटिया ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफारिशों पर प्रकाश डाला और गर्भवती माताओं और उनके नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए उन सेवाओं का विचार किया। ऑस्ट्रेलिया के डॉ. टोबी मैनसेल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि गर्भावस्था की अवधि के दौरान चयापचय और भ्रूण के विकास से वयस्कों में प्रारंभिक जीवन संक्रमण और मधुमेह और हृदय रोगों का खतरा निर्धारित होता है। प्रो.आर.के.बहल,वेबिनार चेयर ने वेबिनार को सुरुचिपूर्ण ढंग से इस बात पर बल दिया कि विभिन्न वक्ताओं द्वारा प्रस्तुत सभी व्याख्यान किसी न किसी तरह से परस्पर जुड़े हुए हैं और साथ ही एकीकृत हैं और गर्भवती महिलाओं के लिए सम्मान और सम्मान के साथ उचित देखभाल की जानी चाहिए। डॉ.जगदीप ने भारत और विदेशों के विभिन्न राज्यों के वक्ताओं और बड़ी संख्या में प्रतिभागियों को धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।