गौचर / चमोली। रिपोर्ट
ललिता प्रसाद लखेड़ा
*गैरसैंण में स्थाई राजधानी की मांग को लेकर पूर्व आईएएस विनोद रतूड़ी के नेतृत्व में जनचेतना अभियान जारी, 9 नवंबर को कर्णप्रयाग में धरना प्रदर्शन*
गैरसैंण में स्थाई राजधानी की मांग को लेकर पूर्व आईएएस विनोद रतूड़ी के नेतृत्व में गैरसैंण में स्थाई राजधानी समर्थक गांव - गांव में भ्रमण कर जन-जागरूकता अभियान के दौरान जनता से सुझाव ले रहे हैं।
स्थाई राजधानी गैरसैंण समिति के मुख्य संयोजक पूर्व आईएएस विनोद रतूड़ी ने बताया कि सभी लोगों की एक ही राय है कि स्थाई राजधानी गैरसैंण में शीघ्र ही स्थापित होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि एक राज्य के लिए दो राजधानी का विकल्प उत्तराखंड की जनता के साथ छलावा है। सुरक्षा के तौर पर भी एक मात्र विकल्प गैरसैंण उपयुक्त है। उन्होंने कहा कि अभी तक स्थाई राजधानी गैरसैंण समिति नारायणबगड़, दशोली, कर्णप्रयाग, पोखरी विकासखंड के 35 गांवों का भ्रमण करते हुऐ लोगों से संपर्क कर चुके हैं।
स्थाई राजधानी समिति गैरसैंण के पदाधिकारियों व सदस्यों ने सोमवार को पोखरी विकासखंड के रानों , बमोथ आदि गांवों में सम्पर्क करते हुऐ 9 नवंबर को सुबह 11 बजे से कर्णप्रयाग में होने वाले शक्ति प्रदर्शन में भाग लेने की लोगों से अपील की। उन्होंने कहा कि इस दौरान कर्णप्रयाग के मुख्य बाजार में शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन
किया जायेगा। उन्होंने स्थाई राजधानी की मांग को लेकर हो रहे इस आन्दोलन में जनता से सहयोग मांगा है।
गांवों के भ्रमण के दौरान मुख्य संयोजक विनोद प्रसाद रतूड़ी के साथ रमेश थपलियाल, मुकेश भंडारी, चंन्द्र सिंह भंडारी, जितेन्द्र नेगी, लखपत भंडारी, प्रदीप लखेड़ा, विजय सिंह, दीपा बहुगुणा, सुशीला चौहान, काजल भंडारी, महिपाल सिंह, सुरेन्द्र कनवासी, गोपी डिमरी, विरेन्द्र कठैत विजय चमोला, टीका प्रसाद, एसएस भण्डारी, प्रणवेन्द्र प्रसाद, सुधीर डिमरी, सौरभ डिमरी, शुभम, अनभिका आदि मौजूद रहे।
पूर्व आईएएस अधिकारी विनोद रतूड़ी ने कहा कि राजधानी का मैदान में होना पहाड़ की जनता के साथ सबसे बड़ा अन्याय है। "शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोज़गार जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए आज भी पहाड़ तरस रहा है। यह दुःख, यह सुविधा न होने का दर्द सिर्फ पहाड़ में रहने वाले ही समझते हैं।