पशुपालन विभाग की अनदेखी का शिकार गांव थंबड़ का पशु अस्पताल
पशुपालन विभाग की अनदेखी का शिकार गांव थंबड़ का पशु अस्पताल
बराड़ा, (जयबीर राणा थंबड़)। पशुपालन विभाग की अनदेखी के चलते गांव थंबड़ का पशु अस्पताल अपना अस्तित्व बचाने में जुटा है और नाम मात्र के होने का एहसास दिला रहा है। अस्पताल का भवन बहुत ही जर्जर हालत में है इसके लिए इसे अन्य जगह पर शिफ्ट किया गया है।वहा पर भी चिकित्सा का सफाई की ओर कोई ध्यान नही है न ही समय रहते अस्पताल में पहुँचता है। पशुपालन विभाग की अनदेखी के कारण गांव थंबड़ में पशु अस्पताल में कोई सुविधा ना होने के कारण आसपास के गांवों के सैकड़ों पशुपालकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है और वे अपने पशुओं का इलाज करवाने के लिए प्राइवेट डॉक्टरों के महंगे खर्चे को उठाने पर विवश हैं। गांव वासियों का कहना है कि इस अस्पताल में ना तो कोई चिकित्सक उपलब्ध है और ना ही यहां पर जानवरों की किसी भी बीमारी की कोई दवाई मिलती है। 
बता दें कि विभाग द्वारा यहां पर वैटेनरी सर्जन व स्टाफ की स्थाई पोस्ट तो है, परन्तु नियुक्ति के अभाव में यहां पर किसी भी पशुपालक को सरकार की कोई सुविधा नहीं मिल पा रही। पशु अस्पताल का जर्जर हालत का भवन, सुविधाओं का अभाव, डाक्टर का न होना और दवाईयों की अउपलब्धता के चलते जनता को केवल सत्ता परिवर्तन का आभास होता है, व्यवस्था परिवर्तन का नहीं, क्योंकि पशुपालकों को जिन समस्याओं का सामना कांग्रेस राज में करना पड़ रहा था, उनके लिए यह समस्याएं आज भी मौजूद है।
गांव वासी कुलदीप सिंह, जनक सिंह, वेदपाल सिंह, दरब सिंह, शिवकुमार राणा, भोपाल सिंह, बीरेंद्र सिंह, रणबीर सिंह अशोक कुमार आदि ने हरियाणा सरकार से थंबड़ में पशु हस्पताल बनाने और चिकित्सक की स्थाई नियुक्ति की मांग की।
पशु अस्पताल का कोई भवन और चिकित्सक न होने के कारण यहां की स्थिति उजाड़ बियाबान जंगल की तरह है। गांव वासियों को शंका है कि जिस तरह बराड़ा के पशु अस्पताल पर कुछ लोगों ने अवैध कब्जा किया हुआ है उसी प्रकार गांव थंबड़ के पशु अस्पताल की जमीन पर भी कुछ लोगों द्वारा कब्जा किया जा सकता है।
-राजकुमार, ग्रामीण, थंबड़
गांव थंबड़ में पशु चिकित्सक का अतिरिक्त कार्यभार बराड़ा के पशु चिकित्सक डॉ राहुल कुमार को दिया गया है परंतु वह अपने कर्तव्य को सही ढंग से नहीं निभा रहे। जब कभी गांव वालों ने उन्हें यहां आकर अपने समय देने के लिए कहा तो उनका बोलचाल का व्यवहार भी गांव वालों के प्रति सही नहीं रहा।

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