स्रकार वेअसर रंग बिरंगे पाउस जिंदगी कर रहे निरस ! आखिर कब तक
होश्ंागाबाद:- (योगेष सिंह राजपूत) - आज शहर के हर कोने छोटी से छोटी बड़ी से बड़ी दुकान में खुले आम रंग बिरंगे पाउच आकर्षक पैकिंग में ढगे है मगर कोई देखने वाला या इनको चेक करने वाला नही है आखिर सरकार पाउस माफियो पर कार्यवाही क्यो नही कर पाती है ? क्या कारण है कि खुले आम समाज के हर वर्ग के लोगो को लुभावना खुषबूदार जहर परोसा जा रहा है । आकर्षक पैंकिग से गुटखा पान मसाला पैक करके बाजारो में बेंचा जा रहा है यह पैंकिग वाला पाउच गुटखा लोगो को कुछ पल के लिए राहत देता है।लेकिन इसकी गिर्फत जानलेवा साबित हो रही है आज युवा वर्ग इसकी सबसे बडी आबादी चपेट में आ गया है समाज को किस तरह यह खोखला कर रहा है इसकी किसी जिम्मेदार को क्यो फ्रिक नही है? इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक बार इसके सेवन से बीमारियो ने अगर जकडा तो इंसान को मौत का द्वारा ही नसीब होता है। देष में अधिकांष मौते सिर्फ इसलिए होती है कि तंबाकू से बने गुटाखा व पान मसालो का लंगे समय से प्रयोग करते आ रहे है। मौत के द्वार तक पहुचाने वाले पाउस से युवाओं को दूर रहने की सलाह व अन्य साधानो से प्रषासन को करना चाहिए ? आज शहर से लेकर गॉव की गलियो में अब तो जगह जगह यह मौत की पुडिया बचेी जा रही है इसे तो अब लोग स्लो प्वाइजन तक कहते है। बाजारो में बिकने वाले गुटखा पाउच वाले मसालो के सेवन से लोगो का तरह तरह की बीमारियो हो रही है कुछ गुटखा तम्बाकू तो ऐसे बेचे जा रहे है जिनका केाई ब्रांड नाम तक नही है कुछ कंपनिया तो ब्रांड बनाकर लुभावने आफर देकर खुलेआम तंबाखू गुटका बेच रहे है। इन गुटखो तंबाकू के सेवन से प्रतिदिन मौत हो रही है। एक अनुमान के अनुसार कंपनीयो के लुभावने और सरकार के ठोस कार्यवाही नही होने से खुले आम बेचा जा रहा हैं जिससे स्कूल कॉलेजो के बच्चे भी काफी मात्रा में सेवन कर रहे है। देखना है कि आखिर जबाबदार कब अपने दायित्यो और कर्तव्यो को समझेगे और समाज में फैल रही कैंसर जैसी खातक बीमारीयो से देष के होनकार नौजवानो को इस नषे से छुटकारा दिला पाते है या नही ? इनके सेम्मल भी नही लिये जात है आखिर जंद रूपयो के लिए जीवन से खिलवाड कब होगा बंद ? आखिर प्रषासन क्यो कठोर कार्यवाही नही कर पाती है। सबसे हमारे समाज का सबसे बड़ा मुद्दा क्यो नही बन पा रहा है ? आखिर कब रंग बिरंगे लुआवना जहर इसी तरह खुला बिगता रहेगा ? कार्यवाही की आषा के साथ आज समाज आपके समाने ? इंतजार में ?