सरकारी अस्पतालो मे घंटो से नदारत रहते है डॉक्टर और स्टाफ
*सरकारी अस्पतालो मे घंटो से नदारत रहते है डॉक्टर और स्टाफ*
घोडाडोंगरी रिपेर्टर मनोज पवांर
घोडाडोंगरी अस्पताल खुलने का समय 9 बजे लेकिन स्टाफ के लोग आते है घंटो लेट  क्या आप जानते है कि अस्पताल मे मरिज टाईम पर ही देखा जाता है क्योकी शायद बिमारी टाईम देखकर आती है इनके कहे अनुसार  वाह ये गजब की बात है की पुरे तहसिल मे एक सरकारी अस्पताल है वहॉ भी टाईम पर नही रह पा रहे है स्टाफ के लोग उनसे कहने पर जवाब आता है ज्लदी है तो बैतुल चले जाओ क्या यही आम जनता जो की बडी महामारी कोरोना काल से जुझते वक्त इनकी तकलिफ  को घंटो इंतजार के बाद भी लापरवाही करना देखा गया और सिर्फ टाला मटोली करते देखा जा रहा है   डॉक्टरो का समय पर न मिलना पाया गया वही पाथाखेडा अस्पताल का भी हाल यही है वह कहते है कि सारे डॉक्टर घोडाडोंगरी मे ईलाज कर रहे है यहॉ पर कोई डॉक्टर नही है इनको बुजुर्गो से बात करने का भी ढंग नही दिखा जब एक बुजुर्ग महीला इलाज के दौरान अस्पताल गई तो इधर जाओ उधर जाओ कहकर टाला मटोली करते दिखे फिर दवाई की बारी तो ये नही है वो भी नही है ये दो गोली लो और बाहर पास मे मेडिकल से दवाई लेने की सलाह तुरंत देते है क्या सरकारी अस्पताल मे पुर्ण रुप से दवाई का भंडार नही रहता है कुछ लोगो का मानना है कि गोली दवाईयो कि लगता है कि काला बाजारी भी करते है स्टाफ के लोग  कभी भी किसी मरिज को पुरी दवाई और गोलीया अब तक अस्पताल से नही मिली कुछ न कुछ बाहरी मेडिकल से तो लेना हि जरुरी होता है क्या डॉ.भी वही दवाई लिखते है जो अस्पताल मे नही है क्या उनको बाहरी दवाई लिखने मे कमिशन ज्यादा मिल रहा है या फिर अच्छा ईलाज करने से कतराते है