खिरकिया। श्री जैन श्वेताम्बर समाज के पयुर्षण पर्व की समाप्ति पर समाजजनो द्वारा एक दूसरे, स्नेहीजन, परिजन व रिष्तेदारो से खमत खामणा (क्षमापना) की गई। विगत वर्ष जाने अनजाने में हुई गलतियो के लिए क्षमा याचना की गई। भगवान से क्षमापना के बाद प्रभु महावीर के संदेश क्षमा वीरस्य भूषणम का पालना करते हुए मन वचन काया से मिच्छामि दुक्कड़म के भाव से खमत खामणा की गई। क्षमापना पर बड़े छोटे का भेद नही रखते को पिता ने बेटे से तो सास ने बहु से क्षमापना करने से परहेज नही किया। कोरोना संक्रमण के चलते यह कार्यक्रम सामुहिक रूप से नही हो सका। ऐसे में समाजनो ने एक दूसरे से सोषल डिस्टेसिंग बनाते हुए क्षमा याचना की, तो कुछ ने फोन के माध्यम से ही संपर्क कर क्षमायाचना की गई। क्षमा का महत्व बताते हुए जैन श्वेताम्बर श्रीसंघ के अध्यक्ष चंपालाल भंडारी एवं नवयुवक मंडल के अध्यक्ष विक्रम नागड़ा ने कहा कि क्षमा महज दो शब्द नहीं, बल्कि जीवन की समस्याओं का शाश्वत समाधान हैं। ये शब्द वेद है, पुराण और तीर्थंकर अवतारों, साधु और संतो की पहचान हैं। क्षसा वीरो का भूषण है। इसके विपरीत क्रोध जीवन का दूषण हैं, मन का प्रदूषण हैं। अतः जिसमे क्षमा भाव हैं वहीं सम्पन्न हैं, शेष तो विपन्न है। क्षमा जीवन का श्रृंगार और सुख शांति का आधार है। इससे बढ़कर इस संसार मे कोई शब्द या कोई है। इसके साथ पयुर्षण पर्व के दौरान प्रतिदिन जैन श्वेताम्बर मंदिरजी में भगवान नमिनाथ की अलग अलग अंगी (श्रृंगार) की गई। जिसमें भगवान को सुसज्जित किया गया।
फोटो। मंदिर में भगवान नमिनाथ की अंगी
हरदा से भगवान दास सेन की रिपोर्ट
पयुर्षण पर्व की समाप्ति पर एक दूसरे से की क्षमायाचना