रसुलिया रहवासी दमघोटी वातावरण में रहने को मजबूर


रसुलिया रहवासी दमघोटी वातावरण में रहने को मजबूर
नेशनल हाईवे 69 मौजूदा मार्ग बेहद खतरनाक खड्डो मे तब्दील हो गया , इस मार्ग से निकलने वाले वाहनों से मौजूदा धूल प्रतिदिन आसमान छूती देखी जा सकती है तथा जानलेवा धूल से हाईवे किनारे मौजूद रहवासी इलाकों में हवा की गुणवत्ता बेहद ख़राब हो गई है। इससे आम जनजीवन पर बुरा असर पड़ रहा है। लोगों को सांस संबंधी तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है।
 त्वचा एवं एलर्जी रोग  विशेषज्ञ डा.सुधीर का कहना है कि प्रदूषित वातावरण में रहने से दिल और फेफड़ों को सबसे अधिक नुकसान पहुंचता है।  वायु प्रदूषण से कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इनमें दिल की बीमारियां, स्ट्रोक, फेफड़ों का कैंसर, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) और तीव्र श्वसन संक्रमण प्रमुख हैं। वायु प्रदूषण से  रोगी को सांस लेने में तकलीफ होती है, सीने में दबाव महसूस होता है और खांसी भी होती है। ऐसा तब होता है, जब व्यक्ति की श्वसन नलियों में अवरोध पैदा होने लगता है। ये रुकावट एलर्जी (हवा अथवा प्रदूषण) और कफ से आती है। कई रोगियों में ऐसा भी देखा गया है कि श्वसन मार्ग में सूजन भी हो जाता है।स्माल सेल लंग कैंसर (एससीएलसी) कैंसर प्रदूषण और धूम्रपान के कारण होता है। इसका पता तब चलता है, जब एससीएलसी शरीर के विभिन्न हिस्सों में ज्यादा फैल चुका होता है। साथ ही नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (एनएससीएलसी)  तीन प्रकार के होते हैं। एडिनोकार्सिनोमा, स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा और लार्ज सेल कार्सिनोमा
 वायु प्रदूषण से दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। जहरीली हवा के महीन कण पीएम 2.5 खून में प्रवेश कर जाते हैं। इससे धमनियाों में सूजन आने लगती है और फिर दिल के दौरे का खतरा बढ़ जाता है।
*कानून विशेषज्ञ* की माने तो धूल रहित वातावरण में रहना प्रत्येक व्यक्ति का मौलिक अधिकार है यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता के अधिकार मे समाहित है ।
न्यूज एसीपी नेटवर्क की खास खबर