यदि 7 साल से कम का बच्चा चोरी करे तो क्या उसके खिलाफ दाण्डिक कार्यवाही होगी।

यदि 7 साल से कम का बच्चा चोरी करे तो क्या उसके खिलाफ दाण्डिक कार्यवाही होगी।

भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 82 क्या कहती है कि....

कोई भी शिशु (बालक/बालिका) जिसकी आयु 7 वर्ष से कम है, वह किसी भी अपराध के दोषी नहीं होंगे क्योंकि उन बच्चों को अच्छे बुरे की परख नही होती हैं। बस उनको कोर्ट में वही मात्र प्रमाण देना है कि उनकी आयु 7 वर्ष से कम है।

केस - मार्श बनाम लोडर,  सात वर्ष से कम आयु के बालक ने किसी व्यक्ति के परिसर से लकडी चुराई थी। उसे पुलिस अभिरक्षा में दिया गया लेकिन उसकी आयु को ध्यान में रखते हुए, उस बालक के विरुद्ध कोई आपराधिक कार्यवाही नही की जा सकी।

भारतीय दण्ड संहिता की धारा 83, क्या कहती है ..

👉वह शिशु(बालक/बालिका) जिसकी आयु 7 वर्ष से अधिक एवं 12 वर्ष से कम है वह इस धारा के अंतर्गत दोषी नहीं होगा परन्तु निम्न शर्ते के अनुसार:-
1.वह दिमाग से  हो।
2.जो अपराध वह कर रहा है उसके बारे में नहीं जानता हो।
3.अच्छे-बुरे की समझ न होना।
4.किसी के बहकावे में में आ कर कोई अपराध करना।

- एक 7 वर्षीय बालक ने 500 रुपये का हार चुरा कर उसे 250 रुपये में बेच दिया। यहा पर बालक को हार चोरी के लिए दण्डित किया जा सकता है, क्योंकि उसको इसका पूर्ण ज्ञान था कि हार को चोरी करके उसे बेचना भी है।

 मरियामुथथू बनाम सम्राट- एक 10 वर्षीय लड़की को रास्ते में एक चाँदी की पायल मिली और वह पायल लाकर उस लड़की ने अपनी माँ को दे दी, लड़की इस अपराध की दोषी नहीं होगी क्योंकि उसे इस अपराध से न समझ थी।

विधि विशेषज्ञ द्वारका प्रसाद होशंगाबाद म.प्र. का मानना है कि सामाजिक परिवर्तन के अनुरूप दण्ड  विधियों में संशोधन आवश्यक है । 
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