रेस्ट हाउस नीलामी का मामला बिडर त्रिपुर कंपनी में जो नाम सामने आए है उससे स्पष्ट है परदे के पीछे कौन है मुकेश गांधी इटारसी रेस्ट हाउस नीलामी का मामला अनावेदक गणों ने दिया जवाब..याचिकाकर्ताओं को दी कॉपी रिजाइंडर हेतु कोर्ट ने दिया समय 30 सितंबर को होगी अगली सुनवाई जबलपुर
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर के न्यायाधीश मा.मोहम्मद रफीक एवं मा.विजय शुक्ला जी की डिवीजन बेंच में रेस्ट हाउस मामले में आज सुनवाई हुई जिसमें रेस्पोंडेंट 1 से लेकर 4 की ओर से जवाब प्रस्तुत किया गया जिसकी प्रति सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता को प्रदान करवाई गई उक्त आशय की जानकारी ऐश्वर्य पार्थ साहू ने जबलपुर से दूरभाष पर दी।श्री साहू ने बताया कि रेस्ट हाउस नीलामी के मामले को लेकर प्रस्तुत याचिका में आगामी सुनवाई 30 तारीख को नियत की गई है याचिका में स्टेट ऑफ एमपी, मध्य प्रदेश रोड डेवलपमेंट कारपोरेशन( एमपीआरडीसी) डिप्टी सेक्रेटरी पब्लिक ऐसेट मैनेजमेंट डिपार्टमेंट भोपाल, कलेक्टर होशंगाबाद एवं नगरपालिका परिषद इटारसी को पक्षकार बनाया गया है।
श्री साहू नेबताया कि याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्री के.सी. घिल्डियाल एवम ऐश्वर्य पार्थ साहू उपस्थित हुए और रेस्पोंडेंट की ओर से श्री आरएन सिंह वरिष्ठ अधिवक्ता, एवम शासन की ओर से डिप्टी एडवोकेट जनरल स्वप्निल गांगुली उपस्थित रहे।श्री साहू के अनुसार जवाब देखने के बाद यदि याचिकाकर्ताओं की ओर से रिमाइंडर की आवश्यकता पड़ती है तो वह प्रस्तुत किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि इटारसी के रेस्ट हाउस की एक लाख वर्ग फुट भूमि जो कि करोड़ों रुपए की है को कोड़ियो के दाम सुनियोजित षड्यंत्र के तहत बेचे जाने के विरुद्ध इटारसी के जागरूक मुकेश गांधी पंकज राठौर मोहन झालिया, ज्ञानेंद्र उपाध्याय, कैलाश नवलानी, एवं प्रज्ञान साहू ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा कर रेस्ट हाउस की जमीन का जनहित में उपयोग किए जाने का सुझाव दिया है।
याचिका कर्ता मुकेश गांधी और पंकज राठौर के अनुसार राजनैतिक घालमेल के चलते जनहित को ताक में रखकर नीलामी में भाग लेने वाले एकमात्र बिडर को रेस्ट हाउस बेचे जाने का सुनियोजित षड्यंत्र चल रहा है।अन्य याचिकाकर्ता *ज्ञानेंद्र उपाध्याय* ने बताया की पूरी नीलामी कार्यवाही की कॉपी सूचना के अधिकार के तहत नही दी जा रही। क्योंकि उनकी जानकारी के अनुसार एक बोलीकर्ता को गलत तरीके से तकनीकी आधार पर बाहर किया गया है। जिसका भंडाफोड़ हो सकता है। बिडर त्रिपुर कंपनी में जो नाम सामने आए है उससे स्पष्ट है परदे के पीछे कौन है
अब उच्च न्यायालय में रेस्ट हाउस बेचे जाने के मामले की सुनवाई 30 सितंबर को होगी