बराड़ा(जयबीर राणा थंबड़)
केंद्र सरकार द्वारा तीन कृषि कानूनों के खिलाफ छः माह से बड़ी तादाद में किसान घर-परिवार छोड़ दिल्ली बॉर्डर पर बैठ और देश मे जगह-जगह प्रदर्शन कर देश की सांझी लड़ाई लड़ रहे हैं,क्योंकि फसल किसान अकेला बोता है,लेकिन उसे खाता पूरा देश है।और किसानों की तीन कृषि कानूनों के रद्द करने की जायज़ मांग का समर्थन देश की विभिन्न पार्टियों ने किया है,पर भाजपा सरकार फिर भी देशहित में किसानों की कोई सुनवाई नही कर कर रही हैं जो केंद्र की भाजपा सरकार की हठधर्मिता को दर्शाता है पर अब जरूरी है कि सरकार हठधर्मिता छोड़ सकारात्मक नजरिए के साथ आगे बढ़े ओर किसानों से बातचीत का दौर फ़िर शुरू कर राष्ट्रहित में किसानों की मांगों को माने।ये बात मुलाना विधायक वरुण चौधरी ने आज किसानों द्वारा मनाए जा रहे काले दिवस का समर्थन करते हुए कही।उन्होंने कहा कि गत दिनों संयुक्त किसान मोर्चा ने एक कदम आगे बढ़कर सरकार को बातचीत के लिए प्रस्ताव भेजा है। अब सरकार को भी दो कदम आगे बढ़ते हुए बातचीत को सिरे चढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए।उन्होंने कहा कि आजाद भारत के इतिहास में इतना बड़ा अनुशासित आंदोलन नहीं हुआ,400 से ज्यादा शहादतों के बावजूद किसान सत्याग्रह के रास्ते पर अडिग हैं।उन्होंने कहा कि नए कृषि कानून किसानों की बजाय कॉरपोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाए गए हैं। इन कानूनों से किसानों को नुकसान होगा, इसीलिए किसान इसका विरोध कर रहे हैं।हम किसानों की मांगों का पूर्ण समर्थन करते हैं और पहले दिन से इस लड़ाई में कांग्रेस पार्टी किसानों साथ खड़ी हैं।क्योंकि इन कृषि कानूनों से केवल किसान नही बल्कि देश का हर वर्ग प्रभावित होगा और सभी को इसका नुकसान भुगतना पड़ेगा।इसलिए यह किसान वर्ग की समस्या नही पूरे देश की सांझी समस्या है।इसलिए सरकार को किसानो की आवाज़ सुननी ही होगी,क्योंकि यह देश के हर वर्ग की आवाज़ है।