मसनगांव- मानसुन के आगमन को देखते हुए क्षैत्र के किसानो द्वारा सोयाबिन बीज की तलाश की जा रही है। पिछले वर्ष क्षेत्र में सोयाबीन की फसल खराब होने के बाद किसानों के द्वारा बिजाई के लिए दुसरे जिलो मे जाकर तलाश की जा रही है। पिछले वर्ष जिन सोयाबीन की प्रजातियों ने धोखा दिया था उसकी बजाय अन्य प्रजाति की सोयाबीन की तलाश किसान कर रहे हैं जिनमें मुख्य रुप से 20 29, 20014, 20 34 ,2018, 20 69, 2098 जैसी प्रजाति का बीज लेकर किसान इस वर्ष वुआई करने के चक्कर में हैं परंतु जिन बीजों की मांग किसानों के द्वारा की जा रही है वह अन्य जगहों पर भी उपलब्ध नहीं है इसके कारण किसान निराश होकर लौट रहे है
मालवा के बीज को माना जाता है उत्तम
हरदा जिले के अधिकांश किसान सोयाबीन की प्रजाति का बीज मालवा से लेकर आते हैं जिनमें आष्टा सीहोर उज्जैन बड़नगर तथा खातेगांव से भारी मात्रा में सोयाबीन का बीज क्षेत्र में बुवाई के लिए आता है जिसके दाम भी प्रतिवर्ष वाजिब रहते थे परंतु इस सोयाबीन की कमी को देखते हुए जहां मंडियों में भाव तेज बने हुए हैं वहीं विजाई के दाम भी 8हजार से लेकर ₹10हजार प्रति क्विंटल तक बोला जा रहा है
कोरोना वायरस संक्रमण के बावजूद क्षेत्र के कुछ किसान वीज की तलाश मे निकलने लगे किसानों का कहना है कि इस वर्ष वैसे ही विजाई की कमी बनी हुई है जिसके चलते फोन है अभी से वीज की तलाश करना होगी जिले में बीज की उपलब्धता कितनी है यह जानकारी भी किसानों को नहीं है। राज्य बीज निगम के द्वारा जिले में किसानो को अनुदान पर बीज दिया जाता है लेकिन इसका लाभ कुछ किसानो को ही मिलता है ।वही बीज उत्पादक समितीयो द्वारा समितीयो के माध्यम से बीज दिया जाता है पंरतु पर्याप्त मात्रा में नहीं देने से किसानों को अन्य जगह से भी बीज की तलाश करना पड़ती है प्रति बषॅ क्षैत्र के किसानो द्वारा यहां वहां से व्यवस्था कर पूर्ति की जाती है लेकिन पिछले वर्ष सोयाबिन पूर्ण रूप से खराब होने के कारण किसानों के पास बीज की कमी होने से इस बषॅ मुश्किलो का सामना करना पड़ सकता है। क्षेत्रीय विधायक एवं कृषि कल्याण मंत्री कमल पटेल के द्वारा भले ही अधिकारियों को पर्याप्त मात्रा में सोयाबीन का बीज उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हो परंतु बीज निगम के पास इतना बीच उपलब्ध नहीं है जितनी मांग किसानों के द्वारा की जा रही है वही भाव अधिक होने से किसान बीज निगम तक पंहुच ही नही पायेगा।
नफा नुकसान का लगा रहे आकलन
क्षेत्र के किसान खरीफ की मुख्य फसल सोयाबीन को बोने से लेकर उत्पादन तक का गणित लगा रहे है जिस प्रकार वीज के दाम वताये जा रहे है उससे कुछ किसान आकलन लगा है की विगत पांच साल मे सोयाबिन का कितना उत्पादन निकला वही मंडियो मे विक्री के वाद कितना लाभ हुआ।सभी को जोड घटाकर सोयाबिन की अपेक्षा अन्य फसल उडद मक्का ज्वार रामतिल का विकल्प तलाश रहे है। क्षत्र के किसान पुरुषोत्तम पटेल ने बताया कि सोयाबीन बीज के दाम अधिक होने से किसान इस वर्ष उड़द जैसी फसल को प्राथमिकता दे सकते हैं जिसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि उड़द का बीज कम मात्रा में लगता है उत्पादन भले ही 2 से 3 बोरा एकड़ निकले लेकिन वह पैदा हो जाती है सोयाबीन के बीज के भाव अधिक होने के बावजूद फसल का उत्पादन निकलेगा इसकी गारंटी नहीं होती जिसके कारण किसानों को हर वर्ष नुकसान उठाना पड़ता है।
सभी किसानो को उपलब्ध कराये अनुदान पर वीज
क्षेत्र के किसानों द्वारा प्रदेश सरकार से सोयाबीन का बीज अनुदान पर उपलब्ध कराए जाने की मांग की जा रही है किसानों का कहना है कि ग्राम स्तर पर समितियों के माध्यम से सभी किसानों को अनुदान पर बीज उपलब्ध कराएं जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति सुधर सके सोयाबीन की फसल को रिस्की मानते हुए प्रति वर्ष किसानों के द्वारा दांव लगाया जाता है परंतु उत्पादन न होने से किसानों की आर्थिक स्थिति लगभग आई हुई है जिसके चलते वह महंगे भाव पर बीज लेने में असमर्थ नजर आ रहे हैं कुछ किसानों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश छोटे किसान सोयाबीन को लेकर असमंजस मे है की इस वर्ष फसल बोई जाए या खेतों को खाली ही छोड़ दिया जाए।
मसनगांव से अनिल दीपावरे की रिपोर्ट