गैस सिस्टम कई दिनो से फेल, कोरोना का कहर, श्मशान घाट पर 24 घंटे पहुच रहे शव दाह संस्‍कार लकड़ी की मारामारी
गैस सिस्टम कई दिनो से फेल, कोरोना का कहर, श्मशान घाट पर 24 घंटे पहुच रहे शव दाह संस्‍कार लकड़ी की मारामारी 
होशंगाबाद से योगेश सिंह राजपूत की रिपोर्ट 

होश्ंागाबाद:- संभाग होश्ंागाबाद शमशान घाटों में कोरोना संक्रमित शवों की गिनती का ग्राफ बढ़ता जा रहा है.मध्यप्रदेश में कोरोना का कहर जारी है. हर दिन पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. कोरोना के कारण संभाग मुख्यालय होशंगाबाद में मरने वाले मरीजों की संख्या इतनी ज्यादा हो गई है कि शहर के श्मशान घाट और कब्रिस्तान में अंतिम संस्कार करने के लिए जगह कम पड़ने लगी है. शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए लकड़ियों की कमी की भी बात सामने आ रही है. बीते दो तीन दिनो में खर्रा घाट में प्रतिदिन 10-15 शवों का अंतिम संस्कार हुआ है, जिसमें से कोरोना संक्रमितों के पार्थिव शरीर थे. शहर में तीन चार जगह कब्रिस्तान और श्मशान घाट हैं. सूत्रो के मुताबिक अकेले एक श्मशान घाट में बीते 1 महीने में 300 से ज्यादा अंतिम संस्कार हो चुके हैं. अब स्थिति यह हो गई है कि श्मशान में जगह कम पढ़ने लगी है इस संबंध में सीएमओ से पूछने पर बताया कि प्रतिदिन श्मशान में रोजाना कोरोना के 10 मुर्दे आ रहे हैं कोरोना के शवों का अंतिम संस्कार किया गया है. कोरोना संक्रमितों के शरीर श्मशान आए थे. उन्होंने बताया कि रोजाना 8 से 10 कोरोना संक्रमित शवो की संख्या है. शवों की संख्या बढने के साथ ही लकड़ियों की भी कमी होने लगी है. लकड़ियों की कमी को लेकर राज घाट के संचालक ने कहा कि हमने लकड़ियों की कमी को देखते हुए नगरपालिका और वन विभाग के डीएफओ को अवगत करा दिया है. जिसके हमे आश्वासन दिया गया है कि हमे पर्याप्त मात्रा में लकड़ियां उपलब्ध करा दी जायेगी मगर ऐसा नही होने से लकडियो के दाम दो गुना हो गये है। वही दूसरी तरफ शव वाहन से खर्रा घाट भेज दिया जाता है जहाॅ असहाय लोग लुटते हुये अपनो को विदा दे रहे है। इस सबके बीच अंतिम संस्कार के लिए लगने वाली सामग्री को लेकर भी समस्या हो रही है. और इसका फायदा दूसरे लोग डबल रेट में दे रहे है। इस संबंध में सीएमओ से बात कही तो उन्होने कहाॅ कि हम कहाॅ तक व्यवस्था करे रोज 10 से 15 लोग मर रहे है । अगर ऐसी प्रकार की हालत रहे तो शवो को अंतिम क्रिया क्रम होना मुश्किल हो जायेगा आखिर शासनर कारोना काल में मदद करने से पीछे क्यो हट रही है ?  अंतिम संस्कार के लिए सामग्री लेने वालों को भी सामान मिलना मुश्किल हो रहा है. वही राज घाट में बंद पडी र्गैस मशीन भी नगर पालिका प्रशासन को मुह दिखा रही है ? लाखो खर्च करने के बाद भी वह सुचारू नही चल पाई है ? आखिर वह भी भ्रष्टाचार की भेट चढ गई ?