राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैण के परिक्षेत्र में पिंडर घाटी के थराली एवं नारायणबगड़ के क्षेत्रों को भी सम्मिलित करने की मांग जोर पकड़ने लगी है। इस संबंध में थराली के उपजिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेजा गया है।

 थराली चमोली

राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैण के परिक्षेत्र में पिंडर घाटी के थराली एवं नारायणबगड़ के क्षेत्रों को भी सम्मिलित करने की मांग  जोर पकड़ने लगी है। इस संबंध में  थराली के उपजिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेजा गया है।


   रिपोर्ट। केशर सिंह नेगी         

 सोमवार को यहां तहसील कार्यालय में पिंडर घाटी के थराली एवं नारायणबगड़ विकास खंडों के चिन्हित न्याय पंचायत क्षेत्रों को गैरसैंण ग्रीष्मकालीन राजधानी के परिक्षेत्र में सम्लित किए जाने के संबंध में मुख्यमंत्री को संबोधित एक ज्ञापन उपजिलाधिकारी थराली को सौंपा गया हैं। जिसमें 


कहा गया है कि प्रस्तावित राजधानी  परिक्षेत्र में थराली एवं नारायणगड़ के कुछ क्षेत्रों को सम्मिलित किया जाना चाहिए। पत्र में कहा गया है कि थराली विकासखंड की न्याय पंचायत लोल्टी एवं नारायणबगड़ विकास खंड की न्याय पंचायत हरमनी, भगोती एवं नारायणबगड़ के काफी गांव राजधानी भराड़ीसैंण के काफी निकट है। यहाँ  रहने वाले लोगों के सामाजिक, विवाहित संबंध भी एक दूसरे से हैं। बरसात में पशुपालन के लिए दोनों ही क्षेत्रों के लोगों का आपस में एक दूसरे के क्षेत्रों में लगातार आना जाना बना रहता हैं। यही नही इस दौरान वे लोग एक दूसरे की छानियों में रहने के साथ ही उनका खान-पान भी साथ ही साथ होता हैं। कहा हैं कि इन क्षेत्रों से भराड़ीसैंण की दूरी 28 से 30 किमी तक हैं। जबकि सरकार के द्वारा ग्रीष्मकालीन राजधानी भराड़ीसैंण गैरसैंण के आसपास के 45 वर्ग किमी के क्षेत्र को राजधानी परिक्षेत्र के रूप में विकसित करने का संकल्प लिया गया हैं। ऐसे में थराली एवं नारायणबगड़ विकास खंडों के भराड़ीसैंण से लगें क्षेत्रों को भी राजधानी परिक्षेत्र में सम्लित करते हुए राजधानी के रूप में इन क्षेत्रों को भी विकसित किए जाने की मांग की हैं। इस ज्ञापन में उत्तराखंड आंदोलनकारी भुपाल सिंह गुसाईं, एडवोकेट देवेंद्र सिंह रावत, महिपाल सिंह नेगी,नंदा देवी मंदिर समिति देवराड़ा के अध्यक्ष भुवन हटवाल,शंभू प्रसाद, महिपाल राम,लाखन सिंह रावत, धीरेंद्र सिंह रावत,विजयपाल, नरेंद्र सिंह रावत, हरेंद्र रावत आदि के हस्ताक्षर मौजूद हैं।