कलेक्ट्रेट के सहायक अधीक्षक ने घर पर लिखा मकान किराए पर देना है

होशंगाबाद- । स्वयं का मकान किराए पर देकर सरकारी मकान में रह रहा कर्मचारी, कलेक्ट्रेट कार्यालय में पदस्थ कर्मचारी जिनके पास स्वयं का मकान होने के बावजूद भी सरकारी मकान में रह रहे हैं इन सरकारी कर्मचारियों को ना तो शासन प्रशासन का खौफ है और ना ही अपने द्वारा की जा रही नियम विरुद्ध कार्य शैली का कोई मलाल है। कर्मचारियों की यही मनमानी होशंगाबाद के कलेक्ट्रेट कार्यालय में पदस्थ कर्मचारियों में भी देखी जा रही है। कलेक्ट्रेट में पदस्थ सहायक अधीक्षक के एन त्रिपाठी एक ऐसे दबंग कर्मचारी हैं जिनका शहर में आलीशान मकान किराए पर चल रहा है और त्रिपाठी कलेक्ट्रेट की सरकारी कॉलोनी में सरकारी मकान पर वर्षों से कब्जा जमाए हुए हैं। इस मामले की कमिश्नर को शिकायत करने के बाद भी आज तक मामले को लेकर कार्रवाई नहीं की गई बल्कि कमिश्नर का कहना है कि इस मामले में कलेक्टर को अवगत कराइए उन्हीं के कार्यालय का कर्मचारी है उस पर वही कार्रवाई करेंगे।के एन त्रिपाठी ने अपने निजी मकान में एक बोर्ड लगा रखा है जिस पर लिखा है मकान किराए से देना है। छात्रों को प्राथमिकता है। इस बोर्ड पर के एन त्रिपाठी का ही मोबाइल नंबर लिखा हुआ है इतना सब होने के बावजूद भी त्रिपाठी के खिलाफ कार्यवाही नहीं होना आश्चर्यजनक है।
किरायेदारों से कह रहा है कोई मकान की फोटो ना निकाले।
सहायक अधीक्षक के एन त्रिपाठी ने हाउसिंग बोर्ड स्थित कॉलोनी में बने अपनी बहू मंजिलें मकान में रह रहे किरायेदारों से कह रखा है कि कोई भी व्यक्ति आए तो उसे मकान की फोटो नहीं निकालने देना। जब संवाददाता उनके मकान की फोटो लेने गए तो किरायेदारों ने फोटो लेने से इनकार किया लेकिन किसी भी तरह फोटो लेने में संवाददाता कामयाब हो गए। सूत्रों से पता चला है कि के एन त्रिपाठी का यह कीमती मकान उन्होंने सिर्फ किराए से चलाने के लिए ही बनवा रखा है और वह स्वयं सरकारी क्वार्टर में रहकर नौकरी कर रहे हैं। कलेक्ट्रेट जैसे कार्यालय में पदस्थ रहकर एक कर्मचारी द्वारा इस तरह कार्य शैली अपनाई जाएगी इस बारे में किसी ने सोचा भी नहीं था लेकिन हद तो इस बात की हो गई थी बार-बार अखबारों में त्रिपाठी के खिलाफ मकान को लेकर खबर छपने के बाद भी उनकी सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा जबकि कोई  स्वाभिमानी व्यक्ति होता तो अब तक सरकारी मकान खाली करके अपने आलीशान मकान में शिफ्ट हो गया होता लेकिन त्रिपाठी द्वारा सरकारी मकान खाली ना करने के पीछे क्या रहस्य है इसका पता लगाया जा रहा है।                        प्रदीप गुप्ता की रिपोर्ट