उप तहसील की जांच से क्यों पीछे हट रहे पीआईयू के अधिकारी ?

 उप तहसील की जांच से क्यों पीछे हट रहे पीआईयू के अधिकारी ? 




बैतूल/सारनी। लाखों रुपए के प्रोजेक्ट में गुणवत्ताहीन कार्य की जांच तक की फुर्सत पीआईयू विभाग के अधिकारियों को नहीं है। ना ही उनके पास इतना समय है कि शासन द्वारा किसी प्रोजेक्ट पर लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। तो संबंधित फर्म के द्वारा उस कार्य को किस गुणवत्ता पर किया जा रहा है इसकी जांच कर सके। लेकिन पीआईयू विभाग के उपयंत्री विनय तिवारी बाकी अधिकारियों से एकदम अलग है वह उप तहसील में बरती गई अनियमितताओं की जांच तो करना चाहते हैं मगर वह उस स्थिति में फिलहाल नहीं है। आखिरकार वह कौन सी जंजीर है जो पीआईयू के संभागीय उपयंत्री को अपने कार्य के प्रति रोक रही है। और पीआईयू उपयंत्री उप तहसील की जांच का मन बनाने के बाद भी अपने कदम जांच के लिए आगे नहीं बढ़ा पा रहे हैं। अब इस बात के तो दो ही मतलब हो सकते हैं। या तो संभागीय उपयंत्री पर उप तहसील की जांच न करने को लेकर दबाव बनाया जा रहा है। या फिर सब कुछ जानते हुए भी पीआईयू के उपयंत्री किसी वजह से जांच करने से पीछे हट रहे हैं। दरअसल शासकीय प्राथमिक शाला सारनी में 81 लाख 35 हजार रुपए की लागत से बन रही उप तहसील जिसे अंतिम रूप देने का कार्य चल रहा है। लेकिन उप तहसील का निर्माण कार्य शुरू होते ही उस पर गुणवत्ता को लेकर कई तरह के सवाल उठने लगे। और अभी तक उठ रहे हैं। राधे-राधे कंस्ट्रक्शन अब्दुल्लागंज पहले ही प्रतिस्पर्धा  में 25% कम दर पर सारनी में उप तहसील निर्माण कार्य को लेकर सुर्खियों में बना हुआ था। उसके बाद उप तहसील निर्माण कार्य में लगातार बरती गई अनियमितताएं और शासन के पैसों का दुरुपयोग देख क्षेत्र की जनता ने आवाज उठाई, तो कुछ ने सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत कर तहसील की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। वहीं क्षेत्र के जागरूक नागरिकों ने पीआईयू विभाग में बैठे अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत कर उन पर भी कार्रवाई और उप तहसील के उच्च स्तरीय जांच की मांग करेंगे।

इनका कहना है। मैं जाऊंगा, उप तहसील जांच की स्थिति अभी नहीं है। विनय तिवारी संभागीय उपयंत्री पीआईयू