बाड़मेर में तीन दिवसीय साइंस लिटरेसी की कार्यशाला शुरू
*बाड़मेर में तीन दिवसीय साइंस लिटरेसी की कार्यशाला शुरू

बाड़मेर से वागाराम बोस की रिपोर्ट 


बाड़मेर 12 मार्च l शोधार्थियों और शिक्षकों को विज्ञान के विभिन्न विषयों पर लोकप्रिय विज्ञान संचार की कला सिखाने और देश में विज्ञान साक्षरता बढ़ाने के लिए शनिवार से बाड़मेर डाईट में तीन दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। 
‘डेली साइंस न्यूज एंड फीचर्स फॉर डिजिटल एंड प्रिन्ट वर्जन ऑफ वैज्ञानिक दृष्टिकोण फॉर प्रोमोटिंग साइंस लिट्रेसी’ नामक इस कार्यशाला का उद्घाटन समारोह में डाईट के उप प्रधानाचार्य डॉ. लक्ष्मी नारायण जोशी ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण के संपादक तरुण कुमार जैन का स्वागत करते हुए  कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि डाईट, बाड़मेर में विज्ञान सम्बंधित कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने बाड़मेर प्रथानुसार मुख्य अतिथि भारतीय वन सेवा के अधिकारी एस पी भादू और तरुण कुमार जैन को साफा और माला पहनाकर सम्मानित किया। साथ ही उन्होंने पेड़ों के विज्ञान पर बात की। उन्होंने कहा की हमारे यहाँ पेड़ों को भगवान से जोड़ा गया ताकि हम लोग पेड़ों का सम्मान करे। इसके पीछे भी वैज्ञानिक कारण है। मानसिंह राठौर, सीनियर लेक्चरर, डाईट ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। 
कोई भी कार्य करने से पहले अपनाएं वैज्ञानिक दृष्टिकोण :  तरुण कुमार जैन 
विज्ञान साक्षरता की कार्यशाला के पहले सत्र में वैज्ञानिक दृष्टिकोण के संपादक तरुण कुमार जैन ने प्रतिभागियों की कार्यशाला की रूप रेखा के बारे में बताते हुए ये समझाया की विज्ञान हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा है। उन्होंने बताया कि सब कुछ हमारे नजरिए में है, अगर हम दुनिया को वैज्ञानिक दृष्टिकोण के नजरिए से देखने लग जाएं तो सारी समस्यां ख़त्म हो जाएंगी। इसके आलावा उन्होंने भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे प्रोग्राम ‘अवसर’ के बारे में प्रतिभागियों को बताया जिससे शोधार्थी अपने शोध पर लाखों का इनाम जीत सकते हैं।
पानी की गुणवत्ता और उसके मानक : कार्यशाल के दूसरे टेक्निकल सत्र में डॉ नीमचंद ने शुरुआत करते हुए कहा की वैज्ञानिकों के रिसर्च पेपर्स जर्नल्स तक ही सीमित रह जाते है। रिसर्च पेपर्स का आम लोगों तक पहुंचना बहुत अहम है। उन्होंने बच्चों से अनुरोध करते हुए कहा कि आप विज्ञान के बारे में जो भी नया सीखे, उसे कम से कम दो लोगों को बताएं और समझाएं। साथ ही उन्होंने देश के विभिन्न गाँवों और शहरों में मौजूद पानी की गुणवत्ता पर बात की। उन्होंने पानी की गुणवत्ता को मांपने के मानक समझाएं। पानी का रंग, गंध, स्वाद, पीएच जैसे विषयों पर भी उन्होंने रोशनी डाली। उन्होंने पानी की जाँच के लिए फील्ड टेस्टिंग किट के इस्तेमाल पर बात की। सरकार द्वारा तैयार किये इस किट का इस्तेमाल सामान्य लोग भी कर सकते है और पीने के पानी की गुणवत्ता जाँच सकते है। किट के द्वारा पानी की जाँच की प्रक्रिया को उन्होंने प्रतिभागियों को विस्तार से समझाया।
दूषित पानी और उससे होने वाली बीमारियां
अपने संबोधन के अंत में डॉ नेमीचंद ने दूषित पानी से होने वाली बिमारियों के बारे में बताया। पानी में अत्यधिक नाइट्रोजन की मात्रा से होने वाली अलग-अलग बिमारियों के लक्षण के बारे में बात की । साथ ही पानी में फ्लोराइड, क्लोराइड की वजह से होने वाली बिमारियों के बारे में समझाया। क्लोरीन, फ्लोराइड और नाइट्रोजन की मात्रा को जांचने के तरीके और उससे बचने के उपाय भी साझा किए। इसके बाद डॉ. जसवंत मायला, प्रबंधक, हरिदयालु कौशल महाविधालय ने विज्ञान संचार पर अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यशाला में बाड़मेर क्षेत्र के 30 शोधार्थी एवं शिक्षक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
मिशन के संयोजक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के संपादक तरुण कुमार जैन ने बताया कि इस मुहिम के तहत प्रयास किया जा रहा है कि देशभर में अधिक से अधिक विज्ञान संचारक तैयार किए जा सकें ताकि सरल और सहज भाषा में देश के नागरिकों को विज्ञान की उपयोगी एवं प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध हो सके। कार्यशाला में रविवार को डॉ नरेन्द्र कुमार प्रतिभागियों के समक्ष अपनी बात रखेंगे।