चारों श्रम संहिता की वापसी व 12 सूत्री मांगों को लेकर 28-29 मार्च को केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा देशव्यापी हड़ताल।
चारों श्रम संहिता की वापसी व 12 सूत्री मांगों  को लेकर 28-29 मार्च को केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा देशव्यापी हड़ताल।

बैतूल/सारनी। कैलाश पाटील

कॉमरेड कृष्णा मोदी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि सरकार की मजदूर विरोधी, जनविरोधी, राष्ट्र विरोधी नीतियों के  खिलाफ देश के 10 प्रमुख ट्रेड यूनियनों ने 28-29 मार्च को दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है। उन्होने कहा कि आज देश के अधिकांश लोगों की आय मानव अस्तित्व हेतु आवश्यक न्यूनतम स्तर से नीचे पहुंच गई है। अप्रैल 2021 में कोविड की दूसरी लहर के दो तीन महीनों के दौरान 23 करोड श्रमिकों की आय प्रचलित वैधानिक न्यूनतम वेतन स्तर जो पहले से ही मानव अस्तित्व के मानक से नीचे है, नतीजन मेहनतकश लोगों के बीच भूखमरी खतरनाक रूप से बढ़ गई है। जिसमें भारत 107 देशों में ग्लोबल हंगर इन्डेक्स में 101वें स्थान पर आ गया है और हमारा देश इस मामले में अपने पड़ोसी देशों से भी बहुत पीछे हो गया है। वर्तमान सरकार के नीतिगत अभियान और कार्रवाई का उद्देश्य केवल मुट्ठी भर घरेलू और विदेशी निजी कॉरपोरेट को लाभान्वित करने के लिये लोगों के मानव अस्तित्व के अधिकार को लगातार संकुचित करना है। इतनी व्यापक दरिद्रता और भूख के बीच लगभग देश की आधी आबादी गरीबी रेखा के से नीचे धकेलते हुए आवश्यक वस्तुओं की कीमत असहनीय स्तर तक आसमान छू रही है। मूल्य वृद्धि यूं ही नहीं हो रही है, बल्कि इसकी वजह केवल बड़े व्यवसाय / व्यापारी / कॉरपोरेट वर्ग के छोटे समूहों को लाभान्वित करने के लिये जारी सरकार की भेदभाव कर लगाने की व्यवस्था के चलते / लगभग दैनिक आधार पर वृद्धि की जाती है। पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस, एवं अन्य कीमतों में जिसका व्यापक प्रभाव अन्य सभी वस्तुओं और सार्वजनिक परिवहन और अन्य सेवाओं में मूल्य वृद्धि पर बढ़ रहा है। सरकारी राजस्व का लगभग आधा हिस्सा ईंधन पर कर लगाने से आ रहा है। आवश्यक दैनिक आवश्यकताओं पर जीएसटी. के माध्यम से उच्च अप्रत्यक्ष कर-दर स्वास्थ्य चिकित्सा शिक्षा आदि सहित लगभग सभी सार्वजनिक उपयोगिताओं के उपयोगकर्ता शुल्क में वृद्धि आग में भी घी डाल रही है। ये सभी भूख और खाद्य संकट में को बढ़ाने में योगदान कर रही है।

12 प्रमुख मांगे -

1. श्रम सहिताओं को रद्द किया जाए अनिवार्य रक्षा सेवा कानून (ईडीएसए) को निरस्त किया जाए।

2 .  कृषि कानूनों को निरस्त करने के बाद, संयुक्त किसान मोर्चा के मांगों के 6 सूत्री चार्टर को स्वीकार करे।

3 . किसी भी रूप में निजीकरण नहीं हो और राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाईपलाईन (एनएमपी) को रद्द करना होगा।

4 .  गैर-आयकर भुगतान करने वाले परिवारों को प्रति माह 7500 रूपये की खाद्य और आय सहायता दो।

5. मनरेगा के लिए आवंटन में वृद्धि हो और शहरी क्षेत्रों में रोजगार गारंटी योजना का विस्तार भी हो।

6 . सभी अनौपचारिक क्षेत्र के कामगारों के लिए सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा दो।

7. आंगनबाड़ी, आशा, मध्याहन भोजन और अन्य योजना कार्यकर्ताओं के लिए वैधानिक न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा दो।

8 . महामारी के बीच लोगों की सेवा करने वाले फ्रंटलाइन कर्मचारियों के लिए उचित सुरक्षा और बीमा सुविधाएं प्रदान करो।

9. राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित और पुनर्संगठित करने के लिए अमीरों पर वैल्थ टैक्स आदि के माध्यम से कर लगाकर कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य महत्वपूर्ण सार्वजनिक उपयोगिताओं में सार्वजनिक निवेश में वृद्धि करो।

 10. पेट्रोलियम उत्पाद पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में पर्याप्त कमी की जाए और मूल्य वृद्धि को रोकने के लिए ठोस उपचारात्मक उपाय लाए जाएं।

11. ठेका मजदूरों योजना कर्मियों को नियमित किया जाए और सभी को समान काम का समान वेतन दिया जाए।

12. एनपीएस को रद्द की जाए और पुरानी पेंशन की बहाली की जाए, कर्मचारी पेंशन योजना के तहत न्यूनतम पेंशन में पर्याप्त वृद्धि की जाए।