हायर सेकेंडरी स्कूल विक्रमपुर तरस रहा पीने के पानी को
हायर सेकेंडरी स्कूल विक्रमपुर तरस रहा पीने के पानी को

महीनो से बन्द पड़ा था हैंडपंप, शिक्षक व ग्रामीणों ने की शिकायत तो पीएचई के मेकेनिक ने पाइपलाइन ही पटक दी बोर में।

स्कूल से एक किलोमीटर तक पानी की कोई सुविधा नही।

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कन्नोद। देवास

मध्यप्रदेश सरकार पीने के पानी के लिए करोड़ो रूपये खर्च कर हर घर नलजल योजना को संचालित कर रही है, वही प्रत्येक सरकारी स्कूलों में पीएचई विभाग पानी के लिए करोड़ो रूपये खर्च कर पानी की व्यवस्था में लगा है। लेकिन खातेगांव क्षेत्र में ऐसे कई सरकारी स्कूल है जहाँ पीएचई विभाग लाखो रुपये पानी के नाम पर खर्च करने के बाद भी बच्चों को एक किलोमीटर दूर से पानी लेकर आना पड़ रहा है। 
      जानकारी के अनुसार शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय विक्रमपुर  परिसर में कक्षा 1 से लेकर 12वी तक के करीब 570 छात्र छात्राएं है, ये सभी बच्चे हायर सेकेंडरी स्कूल में लगे हैंडपंप पर निर्भर थे, ओर इसी के साथ ही इस मोहल्ले के ग्रामीण भी इसी हैंडपंप के सहारे थे।
लेकिन हैंडपंप में तकनीकी समस्या आने के कारण ग्रामीणों ने व स्कूल स्टॉप ने खातेगांव पीएचई विभाग को नवम्बर के महीने में हैंडपंप सुधारने को लेकर अवगत कराया था, लेकिन इस पर पीएचई विभाग के जिम्मेदारो ने इस ओर ध्यान नही दिया, उसके बाद पानी की समस्या को देखते हुए ग्रामीण गोपाल शर्मा ने 181 हेल्पलाइन का सहारा लिया और शिकायत दर्ज करवाई, उसके बाद दिसम्बर के महीने  में नेमावर से मेकेनिक हैंडपंप सुधारने के लिए आये। लेकिन बिना साधन के नेमावर से आया मेकैनिक हेण्डपम्प को सुधारने की बजाय उल्टा उसको पूरी तरह बन्द करके चला गया, करीब 12 पाइप की पाइपलाइन भी बोर में पटक दी। इस बारे में जब स्कूल स्टॉप व ग्रामीणों ने शिकायत की बात की तो आनन फानन में वर्षों पुराना बन्द पड़ा हेण्डपम्प में नट बोल्ड लगा दिया और बोले कि अभी इसी से काम चलाओ, कुछ दिन में इसके पाइप निकालकर वापस चालू कर देंगे। दो महीने गुजर गए पर उसके बाद आज तक न तो पीएचई वाले दोबारा आये और न ही पानी की कोई व्यवस्था की।

 वर्षों से बन्द पड़ा हेण्डपम्प में नट बोल्ड लगाए लेकिन जब उस हेण्डपम्प का पानी देखा तो उसमे इतना जंग आया की अगर उसका पानी पी लो तो इंसान बीमार हो जाए। उसके बाद पीएचई विभाग के जिम्मेदार लोग आश्वासन दे गए कि कुछ ही दिनों में चालू कर देंगे। लेकिन बाद में आज तक दोबारा पलट कर नही देखा। ओर वहाँ स्कूल के बच्चे आज भी पानी के लिए दर दर भटक रहे है।

पानी लेने घर जाते है पढ़ाई का समय भी खराब होता है-

इधर प्राचार्य संतोष हरियाले ने बताया पानी की बड़ी समस्या आ रही है, जिस हेण्डपम्प में पूरे वर्ष भर पानी रहता है, उस हेण्डपम्प को सुधारने की बजाय उल्टा ओर बन्द कर गए, ओर पाइपलाइन भी बोर में पटक दी, पानी के लिए कई बच्चे दोपहर में घर जाते है जिससे उनकी पढ़ाई का समय भी बर्बाद हो रहा है। गुरुवार से बोर्ड की परीक्षा है, ओर पानी की कोई व्यवस्था परिसर में नही है, यहाँ तक की आसपास एक किलोमीटर तक पानी की कोई व्यवस्था नही है।

इतना गन्दा पानी की पशु भी नही पी सकते- 
   ग्रामीणों का कहना है कि पीएचई विभाग के जिम्मेदार लोगों ने शिकायत बन्द करवाने के चक्कर मे वर्षों से जंग में पड़ा हेण्डपम्प में किले लगाकर चले गए, जिसका पानी इंसान तो दूर पशु भी नही पी सकते इतना गंदा पानी उस हेण्डपम्प से निकलता है। अब हमें पानी लाने के लिए एक किलोमीटर दूर जाना पड़ रहा है।

कन्नौद। से श्रीकांत पुरोहित की रिपोर्ट