अनुसूचित जातियों के सर्वांगीण विकास के लिये कृत-संकल्पित है सरकार
राज्य सरकार अनुसूचित जातियों के कल्याण और उनके सर्वांगीण विकास के लिये कृत संकल्पित है। अनुसूचित जातियों की जनसंख्या के मान से प्रदेश के कुल बजट में 16 प्रतिशत का प्रावधान कर इन वर्गों के आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक उत्थान के लिये अनेक कल्याणकारी कार्यक्रम संचालित हैं।मध्यप्रदेश सरकार ने अनुसूचित जाति वर्ग के विद्यार्थियों की शिक्षा-दीक्षा के लिये कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखी है। चाहे छात्रवृत्ति हो या मैस का बेहतरीन इंतजाम अथवा विदेश में पढ़ाई की बात हो, सरकार द्वारा अनुसूचित जाति के छात्रों के लिये खुले हाथ खर्च किया जा रहा है।
अनुसूचित जाति बहुल ग्रामों के लिये भी बड़ी राशि से विभिन्न कार्य पूर्ण अथवा प्रगतिरत हैं। अनुसूचित जाति बस्तियों के विकास के लिये 30 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। अनुसूचित जाति के युवाओं के स्व-रोजगार एवं प्रशिक्षण के लिये भी प्रावधान किये गये हैं।प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश देश के सभी राज्यों में अग्रणी है। अप्रैल 2022 तक 500 चयनित ग्राम आदर्श घोषित कर दिये जायेंगे। योजना में चयनित प्रदेश के 1 हजार 74 ग्रामों की ग्राम विकास योजनाएँ तैयार की जा चुकी हैं।
अनुसूचित जाति के महापुरूषों की स्मृति में पुरस्कार
राज्य सरकार द्वारा अनुसूचित जाति के महापुरूषों की स्मृति में प्रमुख रूप से 5 पुरस्कार स्थापित किये गये हैं, जो इस प्रकार ; संत रविदास स्मृति पुरस्कार, संत रविदास कर्मठ पुरस्कार तथा संत रविदास सामाजिक समरसता पुरस्कार, महर्षि वाल्मीकि स्मृति पुरस्कार, डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर स्मृति सम्मान पुरस्कार, संत कबीर पुरस्कार और श्री विष्णु कुमार अनुसूचित जाति सेवा सम्मान पुरस्कार।