श्रीगंगानगर जिला कलक्टर ने किया राजकीय चिकित्सालय का औचक निरीक्षण

 श्रीगंगानगर जिला कलक्टर ने किया राजकीय चिकित्सालय का औचक निरीक्षण



राजस्थान श्री गंगानगर ( संजय बिश्नोई राजस्थान ब्यूरो) अधिकारियों को दिए चिकित्सालय परिसर में सफाई व्यवस्था बेहतर बनाने के निर्देश, रोगियों से ली दवा उपचार की जानकारी


श्रीगंगानगर, 21 जनवरी। जिला कलक्टर श्रीमती रुक्मिणी रियार ने शुक्रवार सुबह राजकीय जिला चिकित्सालय का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को समूचे चिकित्सालय परिसर में सफाई व्यवस्था बेहतर बनाने के साथ-साथ राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप रोगियों को आवश्यक दवा-उपचार सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध देने के निर्देश दिए।


चिकित्सालय पहुंचने के बाद जिला कलक्टर ने सबसे पहले ओपीडी की व्यवस्थाएं देखीं। इसके पश्चात उन्होंने गायनिक, ऑर्थो, ईएनटी, आई वार्ड, एमसीएच भवन, स्टोर, औषधि केंद्र, आईसीयू और इमरजेंसी सहित अन्य वार्डों का निरीक्षण किया।


इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को चिकित्सालय परिसर में सफाई व्यवस्था बेहतर करने के निर्देश देते हुए कहा कि यहां आने वाले सभी रोगियों को राजस्थान सरकार की मंशा के अनुरूप दवा उपचार सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएं। रोगियों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं आनी चाहिए। जिला कलक्टर ने वार्ड में उपचाराधीन रोगियों से भी दवा और उपचार की जानकारी लेते हुए पूछा कि उन्हें नियमित रूप से स्वास्थ्य सुविधाएं मिल रही है या नहीं। निरीक्षण के पश्चात उन्होंने चिकित्सालय प्रशासन के अधिकारियों से मुलाकात कर उन्हें आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए। इस अवसर पर पीएमओ डॉ. बलदेव सिंह, डीसी डॉ. प्रेम बजाज, डॉ. पवन सैनी, डॉ. केएस कामरा, नर्सिंग अधीक्षक श्री सतपाल लखेसर, मैनेजर श्री सविंद्र सिंह और श्री रविन्द्र शर्मा सहित अन्य मौजूद रहे।

श्री गंगानगर चिकित्सालय निरीक्षण के दौरान गायनिक वार्ड में पहुंची जिला कलक्टर ने यहां भर्ती महिला रोगियों से भी बात की। यहां उन्होंने भर्ती एक महिला से बातचीत की तो पता चला कि उसके पुत्रियां हैं। इस पर जिला कलक्टर ने महिला से पूछा कि वह यहां क्यों भर्ती है, तो महिला ने बताया कि उसे लड़के की इच्छा है। इस पर जिला कलक्टर ने महिला से पूछा कि लड़का क्यों चाहिए? उन्होंने समझाइश करते हुए महिला को बताया कि लड़के और लड़कियों में भेदभाव नहीं करना चाहिए। लड़कियां अपने मां बाप की अधिक सेवा करती हैं उनका ध्यान भी ज्यादा रखती हैं। लड़का-लड़की दोनों एक समान हैं। पूर्व में जो पुत्रियां हैं उन्हें शिक्षा दिला कर योग्य बनाएं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक अभिभावक को चाहिए कि वह अपने बच्चों को समान रूप से पढ़ाए। अगर ऐसी सोच मेरी मां की होती तो वे मुझे पढ़ने क्यों भेजती। अगर ऐसा नहीं होता तो फिर मैं जिला कलक्टर नहीं बन पाती। इसलिए कभी भी लड़के और लड़कियों में भेदभाव नहीं करना चाहिए।