छत्तीसगढ़ का लोक नृत्य त्योहार छेर छेरता मकर संक्रांति का पर्व का आनंद उठाते बच्चे
छत्तीसगढ़ का लोक नृत्य त्योहार छेर छेरता मकर संक्रांति का पर्व का आनंद उठाते बच्चे
रामचंद्रपुर से कृष्ण गिरी की रिपोर्ट 
छत्तीसगढ़ का लोक नृत्य कहे जाने वाले छेर छेरता त्यौहार क्षेत्र के बच्चे नौजवान बुजुर्ग सभी लोगों के लिए खुशी बनाने नाचने गाने नित्य का त्यौहार हैं जो साल में एक बार मकर संक्रांति मेला के अलसुबह आती है वैसे तो मकर संक्रांति के दिन लाई चूड़ा के साथ त्यौहार की शुरुआत की जाती है और जगह-जगह में मेले का भी आयोजन किया जाता रहा हैं पर इस साल करो ना महामारी के कारण मेले का आयोजन बहुतो स्थानो मे नहीं हो पाई जिसमें उपासक बड़े ही सम्मान के साथ मंदिरों में देवालयो मे पूजा पाठ कर के परिवार बाल बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए भगवान से कामना करते हैं इसके उपरांत सुबह छेरछेरा का त्यौहार बच्चे बुजुर्ग नौजवान हाथ में डंडा ढोलक तबला गाना बजाना करते हुए गांव की गलि मोहल्लों में त्यौहार को और भी आनंद से भर देता है खेलकूद के नाचते गाते बच्चे इस त्यौहार को और भी सुखद आनंद से भर देता है लोगों के दरवाजे जाते हैं तथा लोग भी उन्हें ला ई चूड़ा दीक्षा दाल चावल पैसा देकर उन बच्चों का सम्मान करते हैं प्राचीन समय से ही लोक आस्था का त्योहार माना गया छेरछेरा छत्तीसगढ़ का विशेष त्यौहार है जो कि नया चावल का लाई चूड़ा विशेष रुप से बनता है तथा खाया खिलाया जाता है