जिला उपार्जन समिति के प्रयासों से शुरू हुई धान की खरीद

 जिला उपार्जन समिति के प्रयासों से शुरू हुई धान की खरीद


धान संग्रहण प्रबंधन द्वारा  धान के ट्रकों को रिजेक्ट करने के कारण उपार्जन केंद्र प्रभारियों द्वारा बंद कर दी गई थी तौल


गुनौर-उपार्जन केंद्रों के माध्यम से चल रही धान की खरीद अचानक बन्द होने से किसानों में खलबली मच गई थी,खरीदी केंद्र प्रभारियों ने बताया कि खरीदी गई धान को अमानक बताकर संग्रहण प्रबंधन द्वारा रिजेक्ट किया जा रहा है,किसानों ने आवाज उठाई तो बात जिले के आला अधिकारियों तक पहुंची और आनन फानन में कलेक्टर की अध्यक्षता में  उपार्जन समिति की बैठक आयोजित की गई और उपार्जन संबंधी समस्याओं को हल करने के उपायों पर चर्चा की गई।

खरीदी केंद्रों में जिला उपार्जन समिति से नान डी एम गुप्ता जी,डी आर सहकारिता ,डी एस ओ द्वारा भृमण कर मानक स्तर की धान खरीदी हेतु आवश्यक दिशा निर्देश देते हुए भंडारण प्रबंधन को भी आवश्यक दिशा निर्देश देकर किसानों की फसल खरीद को शुरू करवाया।

ब्यापारियों की धान पर प्रशासन को कसनी होगी नकेल

किसानों की धान खरीद में ब्यापारियों द्वारा बड़ा गोलमोल किया जाता है यदि ब्यपारियो के स्टॉक चेक कर उनकी धान पर कसावट कसते हुए वैधानिक उपाय किये जायें तो संभव है कि किसानों की फसल आसानी से खरीदी जा सके।

सूत्रों से हासिल जानकारी के अनुसार ब्यापारियों ने अमानक स्तर की धान औने पौने दामो खरीदकर स्टॉक कर लिया है,यह केंद्र प्रभारियों से सांठगांठ कर किराये से किसानों के पंजीयन लेकर अमानक स्तर की धान केंद्रों में देर रात्रि लेजाकर तौलवाते है और केंद्र प्रभारियों द्वारा इस अमानक स्तर की धान को ट्रकों के बीच बीच मे डाल दिया जाता है।हकीकत तो यह है कि किसान अपनी धान साफ सुथरी करके ही लाता है लेकिन ब्यापारियों की धान के लालच में अमानक स्तर की धान की मिलावट के कारण भंडारण प्रबंधन द्वारा धान को रिजेक्ट कर दिया जाता है ,और धान के ट्रक रिजेक्ट होने पर खरीद बंद होने से परेशान बेचारे किसान ही होते है।

अब देखना होगा कि उपार्जन समिति की समझाइस और दिशा निर्देशों के बाद खरीदी केंद्र प्रभारियों में कितना सुधार होता है और ब्यापारियों की धान में किस तरह से कैसे लगाम लगाया जाता है