बंगाली समाज की उपेक्षा के कारण भाजपा कार्यकर्तायो का हो रहा मोह भंग.

 बंगाली समाज की उपेक्षा के कारण भाजपा कार्यकर्तायो का हो रहा मोह भंग.



पार्टी छोड़ थाम रहे है कांग्रेस का हाथ।


बैतूल/घोड़ाडोंगरी। कैलाश पाटील


चोपना पुनर्वास क्षेत्र के बंगाली समाज प्रधानमंत्री  इंदिरा गांधी के समय से ही भाजपा को जिताते आई है। बंगाली समाज अपना 90 प्रतिशत वोट भाजपा को देते आयी है। बंगाली एक भाषा है जिसके आधार पर बंगला भाषी लोगो को बंगाली समाज कहा जाता है। परन्तु बंगाली समाज के चारो जाति ब्राह्मण, क्षत्रिय, वश्य, शुद्र के लोग चोपना में निवासरत है। आबादी के हिसाब से जनसंख्या अनुपात में ब्राह्मण जाति 0.5 ℅, क्षत्रिय 8℅, वैश्य 1.5 ℅ तथा सर्वाधिक नमोशूद्र(शुद्र) 90 प्रतिशत है। चोपना क्षेत्र की कुल वोटर संख्या लगभग 30 हजार है जिसमे नमोशूद्र जाति के सबसे अधिक संख्या लगभग 27 हजार वोटर है। बंगाली समाज के नमोशूद्र जाति 1950 के राजपत्र में संविधानिक रूप से अनुसूचित जाति में भारत के 8 प्रदेश में अंकित है जिस कारण समय समय पर अनुसूचित जाति का दर्जा देने की मांग बंगाली नमोशूद्र जाति के लोग करते आए है, परन्तु आज तक उन्हें जाति आरक्षण का लाभ नही मिल पाया है। बंगाली समाज कट्टर हिंदुत्ववादी विचार धारा के माने जाते है। इसी कारण से भाजपा के पक्ष में हमेशा से रहते है। परन्तु भाजपा के जिला नेतृत्व की उपेक्षा के शिकार हो रहे है, ऐसा चर्चा का विषय चोपना में बना हुआ है। भाजपा के इतिहास में चोपना क्षेत्र से कभी भी पार्टी ने मण्डल अध्यक्ष जैसा प्रमुख दायित्व किसी भी कार्यकर्ता को नही दिया गया, परन्तु जब संघ के अधिकारियों के संज्ञान में यह विषय आया तब पहली बार 2016 मे संघ के पूर्व तहसील कार्यवाह संजीव रॉय को भाजपा में घोड़ाडोंगरी  मण्डल अध्यक्ष का प्रथम बार दायित्व मिला था तब घोड़ाडोंगरी संयुक्त मण्डल था, परन्तु अब घोड़ाडोंगरी मण्डल का विभाजन कर घोड़ाडोंगरी, चोपना, पाढर नाम से 3 मण्डल बनाया गया है। चोपना क्षेत्र में देखा जाय तो जाति समीकरण के  हिसाब से वैश्य जाति के प्रमुख नेता में पूर्व जिला पंचायत सदस्य तपन बिस्वास, पूर्व मण्डल महामंत्री बिकास बोस, सुरेश सेन, पूर्व सहकारी समिति अध्यक्ष ननि गोपाल दत्ता, वरिष्ठ नेता ननि गोपाल समद्दार तथा वर्तमान चोपना मण्डल अध्यक्ष विजय पॉल है। चुकी वैश्य जाति के वोटर 1.5 प्रतिशत है जो कि बहुत छोटा आंकड़ा है। पौंड्रा क्षत्रिय जाति से वर्तमान जिला पंचायत सदस्य निमाई मण्डल, वरिष्ठ नेता सुनील मण्डल प्रमुख नेता और पौंड्रा क्षत्रिय से 8 प्रतिशत वोटर है। ब्राह्मण जाति से एक मात्र नेता सुधीर चक्रवर्ती चोपना क्षेत्र में सबसे आक्रामक नेता के रूप में जाना जाता था परन्तु अब वो निष्क्रिय है। सबसे अधिक संख्या में नमोशूद्र जाति से  90 प्रतिशत वोटर है। नमोशूद्र जाति में सबसे वरिष्ठ नेता रामकृष्ण सरकार,चेतन्य राय, हरेकृष्ण वाइन, अशीम हालदार, पूर्व घोड़ाडोंगरी मण्डल अध्यक्ष संजीव रॉय है। नमोशूद्र जाति की सबसे ज्यादा वोटर और सबसे अधिक संख्या बंगाली समाज से नमोशूद्र जाति होने के बाद भी वर्तमान में भाजपा के प्रमुख पद में इनकी कोई प्राथमिकता नही है। जिले में सभी जाति समाज का ध्यान रखा गया है उन्हें जाति समीकरण के आधार पर नेतृत्व दिया गया है परन्तु बंगाली समाज की घोर उपेक्षा साफ साफ दिख रही है। ऐसी चर्चा बंगाली समाज के बुद्दिजिवियो के बीच चल रही है। बबला शुक्ल के अध्यक्षता में जिला भाजपा के प्रमुख बॉडी में किसी भी बंगाली समाज के व्यक्ति को पद नही दिया गया है, यंहा तक कि मोर्चे के अध्यक्ष पद में भी बंगाली समाज के एक भी पदाधिकारी नही बनाया गया है। बंगाली समाज के लोग इस तरह के भाजपा के उपेक्षा एवं भेदभाव पूर्ण व्यवहार से नाराज है और इस तरह के व्यवहार के कारण क्षेत्रीय नेताओं में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। विश्वसनीय सूत्र से मिली जानकारी के अनुसार बंगाली समाज के मौलिक अधिकार जैसे जाति की मान्यता, पट्टे की समस्या जैसे ज्वलन्त मुद्दे में भाजपा के 15 वर्ष के कार्यकाल में कोई संतोषजनक कार्य नही होने से बंगाली समाज अपनी उपेक्षा मान रहे है। यंहा तक कि घोड़ाडोंगरी विधानसभा के विधायक का सीट चोपना क्षेत्र के ऊपर निर्भर है।  चोपना क्षेत्र की जनता हर विषम परिस्थिति में भी भजापा का दामन नही छोड़ा है जिस कारण जब भी यह सीट जीती है वो बंगाली समाज की बजह से ही जीत पाई है। जिसका ज्वलन्त उदाहरण पिछले विधानसभा चुनाव में सम्पूर्ण जिले में भजापा के विरोध का माहौल होने के बाबजूद चोपना की जनता ने 12 हजार की बढ़त तथा लोकसभा चुनाव में 15 हजार की बढ़त दी जो कि अपने आप मे भाजपा के लिए एक बहुत बड़ी जीत है। बंगाली समाज के प्रमुख नेताओं में सक्रिय राजनीतिक नेता को जिले के किसी भी प्रमुख पद में नही रखा गया है, इस बात की चर्चा चोपना कें गली गली में बनी हुई है और भाजपा के कार्यकर्ता इस बात से बहुत नाराज होकर भाजपा छोड़ कांग्रेस का दामन थमाने लगे है जिसका प्रमुख उदाहरण तथास्तु ग्राम कहे जाने वाले सालीवाड़ा ग्राम जिस गांव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह आये थे जिस गांव से कांग्रेस को केवल 3 वोट मिले थे।कुछ दिन पहले विधायक ब्रह्मा भलावी के उपस्थिति में मिथुन बिस्वास के नेतृत्व में 75 युवा भाजपा कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस की सदस्यता ली है जो कि भाजपा के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है पर अभी तक चोपना क्षेत्र के स्थानीय नेताओं ने उन नाराज कार्यकर्ताओ से बातचीत नही की उन्हें रोकने के लिए कोई प्रयास नही किया गया ऐसा पता चला है। विश्वसनीय सूत्र से मिली खबर के अनुसार भाजपा में क्षेत्रीय नेताओ से कार्यकर्ता की नाराजगी है ऐसा बताया जा रहा है। ऊपर से जिला नेतृत्व की उपेक्षा के कारण 15 चिन्हित ग्राम से लगभग (एक हजार)1000 कार्यकर्ता भाजपा का दामन थाम के कांग्रेस की सदस्यता लेने की संभावना बताई जा रही है। अगर ये बात सच हुई तो आने वाले समय मे चोपना क्षेत्र शायद ही भाजपा का गढ़ रह पाये। भाजपा के जिला नेतृत्व की मानना है कि चोपना क्षेत्र के बंगाली समाज की उपेक्षा का कोई विषय नही है परन्तु जिला नेतृत्व की मान्यता अब धीरे धीरे मिथक होते जा रही है जिसका परिणाम सालीवाड़ा ग्राम के कट्टर भाजपा समर्थक युवाओं ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है।अब आने वाले समय मे देखना यह है कि जिला नेतृत्व बंगाली समाज के नाराजगी को कैसे दूर करते है या चोपना क्षेत्र में अप्रतिम परिवर्तन देखने को मिलेगा जिसे भाजपा का गढ़ माना जाता था वो अब भाजपा का गढ़ नही रहेगा। ये तो आने वाला समय बतायगा। परन्तु भाजपा छोड़ने वालो की संख्या दिन व दिन बढ़ते जा रही है इसमे कोई दो मत नही है। अगर यही हाल रहा तो घोड़ाडोंगरी विधानसभा में हमेशा से कांग्रेस का कब्जा होने का डर भाजपा को बना रहेगा जो कि भाजपा के स्थानीय नेताओं जिन्हें विधायक का चुनाव लड़ना है उनके लिए चुनौती पूर्ण है। अब देखना ये है की जिला नेतृत्व बंगाली समाज को कैसे अपने पक्ष में कर पाते है, कार्यकर्तओं की उपेक्षा जो आरोप भाजपा जिला नेतृत्व पर प्रश्न चिन्ह अंकित हो रहा है उसे ठीक कर पाते है और क्षेत्रीय नेतृत्व की कमी दूर कर पाते है जिससे चोपना को पहले की तरह पुनः भाजपा का गढ़ बनाकर रख पाते है।