आर्य समाज के मार्गदर्शक स्वामी श्रद्धानंद के सिद्धांत आज भी प्रसांगिक हैं -:रविंदर आर्य
आर्य समाज के मार्गदर्शक स्वामी श्रद्धानंद के सिद्धांत आज भी प्रसांगिक हैं -:रविंदर आर्य
शिवालिक गुरुकुल  में मनाया गया श्रद्धा पूर्वक स्वामी श्रद्धानंद जी का बलिदान दिवस
सी० डी० एस० जनरल बिपिन रावत और उनके साथ शहीद साथियों को किया  नमन।
बराड़ा ,24 दिसंबर(जयबीर राणा थंबड़)
उपमंडल के गांव अलिआसपुर में स्थित शिवालिक गुरुकुल  के परिसर में आज स्वामी श्रद्धानंद जी का 95 वाँ बलिदान दिवस पूर्ण श्रद्धा उत्साह पूर्वक मनाया गया  ।इस पावन कार्यक्रम का शुभारंभ  आचार्य कृष्ण देव  के द्वारा गुरुकुल के अध्यक्ष  रविंद्र आर्य  तथा प्रधानाचार्य  विकासदीप आर्य  के सानिध्य में शांति यज्ञ से किया गया  । शांति यज्ञ में गुरुकुल के सभी शिक्षकों ,छात्रों तथा संरक्षकों ने आहुतियां डालकर श्रद्धा भाव से भाग लिया । धार्मिक कार्यक्रम से पूर्व गत दिनों हेलिकोप्टर दुर्घटना में शहीद हुए देश के पहले सी० डी० एस० जनरल बिपिन रावत और उनके साथ शहीद साथियों को श्रद्धांजलि दी गई। इस अवसर पर भजनोपदेशक पंडित दयानिधि शास्त्री जी ने अपने भजनों द्वारा सभी को
भाव –विभोर कर दिया। शिवालिक गुरुकुल के ब्रह्मचारियों ने स्वामी श्रद्धानंद तथा  सी० डी० एस० जनरल बिपिन रावत और उनके साथ शहीद साथियों का भाषण तथा कविता पाठ द्वारा श्रद्धा सुमन अर्पित किए ।अपने संभाषण में शिवालिक गुरुकुल के अध्यक्ष  रविंद्र आर्य  ने सभी छात्रों को स्वामी श्रद्धानंद जी तथा सी० डी० एस० जनरल बिपिन रावत के जीवन से से प्रेरणा लेकर समाज के कल्याण के लिए कार्य करने के प्रेरित किया । स्वामी श्रद्धानंद जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए रविंदर आर्य ने बताया कि स्वामी श्रद्धानंद जी आर्य समाज के प्रकाश स्तंभ थे, जिनका जीवन दर्शन तथा शिक्षाएं सर्वकालिक तथा आज भी प्रसांगिक है।  उन्होंने कहा कि शिवालिक गुरुकुल छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षा , स्वास्थ्य , संस्कार तथा सेवा भाव के मार्ग पर सदैव अग्रसर है।  कार्यक्रम में  कला अध्यापक रोबिन  तथा कला में संपुष्ट छात्रों ने सभी शहीद वीरों के चित्र बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि  दी ।गुरुकुल के संगीत शिक्षक टविंकल  ने  अपने भावपूर्ण भजनों द्वारा वीर शहीदों को नमन किया । गुरुकुल के सभी शिक्षकों तथा संरक्षकों ने पुष्प अर्पित करके स्वामी श्रद्धानंद तथा वीर शहीदों को कोटि-कोटि प्रणाम किया । अंत में आचार्य कृष्ण देव जी ने आर्य समाज की महत्वता का प्रतिपादन करते हुए कहा कि जो भी व्यक्ति, चाहे वो छात्र हो, शिक्षक हो, संरक्षक हो या किसी भी उच्च या निम्न पद पर कार्यरत हो  आर्य समाज के नियमों  पर चलने के लिए उन्हें स्वामी श्रद्धानंद जी की भांति  तपना तो पड़ेगा ।  संस्थान के चेयरमैन रविंदर आर्य ने सभी दूरस्थ तथा समीस्थ आए गणमान्य जनों का इस पावन अवसर पर आने के लिए धन्यवाद किया और शांति पाठ द्वारा कार्यक्रम का समापन किया ।