3 दिसम्बर को अधिवक्ता दिवस (एडवोकेट डे) मनाया गया

 

3 दिसम्बर को अधिवक्ता दिवस (एडवोकेट डे) मनाया गया
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झाबुआ | 
     3 दिसम्बर को अधिवक्ता दिवस (एडवोकेट डे) मनाया जाता है। भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद जी के जन्मदिवस पर भारत भर में अधिवक्ता दिवस मनाया जाता है राजेन्द्र प्रसाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति के साथ संविधान समिति के अध्यक्ष भी थे, इन सबके पहले वह वकील रहें है। वकालत विश्व भर में अत्यंत सम्मानीय और गरिमामय पेशा है। भारत में भी वकालत गरिमामय और सत्कार के पेशे के तौर पर हर दौर में बना रहा है। स्वतंत्रता संग्राम में वकीलों से अधिक योगदान किसी और पेशे का नहीं रहा। स्वतंत्रता संग्राम में वकीलों ने जमकर लोहा लिया है। यह बात अधिवक्ता दिवस के अवसर पर विशेष न्यायाधीश श्रीमान महेन्द्र सिंह तोमर जी ने कई। आज दिनांक 03.12.2021 को माननीय प्रधान जिला न्यायाधीश श्रीमान मोहम्मद सैय्यदुल अबरार महोदय जी के मार्गदर्शन में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, जिला न्यायालय झाबुआ के तत्वाधान में न्याय सेवा सदन में अधिवक्ता दिवस मनाया गया। कार्यक्रम में विशेष न्यायाधीश श्री महेन्द्र सिंह तोमर जी ने कहा कि महात्मा गांधी से लेकर बी.आर. अम्बेडकर तक लोग वकालत के पेशे से अपने जीवन की शुरूआत की। श्री तोमर ने आगे कहा की वकील के गाउन के पीछे दो जेब होती थी, इन पीछे दो जेबों का अर्थ था अपने क्लाइंट से कोई राशि नहीं मांगी जाना अर्थात् क्लाइंट जो चाहे अपनी इच्छानुसार जेब में पारिश्रमिक डाल जाए। अधिवक्ता दिवस के अवसर पर अपर जिला न्यायाधीश/सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण झाबुआ श्री लीलाधर सोलंकी जी ने अपने संबोधन में अधिवक्ता दिवस के महत्व पर प्रकाश डालते हुये बताया कि अधिवक्ता का कर्तव्य पक्षकारों को न्यायालय के माध्यम से न्याय दिलाने के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में अपना योगदान देकर देश और समाज के निर्माण में भी सहयोग करना चाहिए। अधिवक्ता दिवस के अवसर पर प्राधिकरण द्वारा मध्यस्थता जागरूकता कार्यक्रम, पैनल लॉयर्स का प्रशिक्षण भी रखा गया एवं आगामी नेशनल लोक अदालत दिनांक 11 दिसम्बर-2021 के संबंध में अधिक-से-अधिक मामलों के निराकरण हेतु प्रीसिटिंग मीटिंग एवं परिचर्चा की गई। अधिवक्ता दिवस पर वरिष्ठ अधिवक्ता श्री जगदीश चंद्र नीमा जी ने कहा कि अधिवक्ता समाज को दर्पण दिखाने का काम करता है। अधिवक्ता श्री शरद चंद्र शुक्ला जी ने अपने विचार रखे उन्होंने कहा कि वकीलों को अपनी गरिमा और सामाजिक प्रतिष्ठा को ज्यों की त्यों बनाए रखने के लिए अधिक परिश्रम करना चाहिए जिससे किसी भी प्रकार से यह विलक्षण और पवित्र वृत्ति दूषित और कलंकित नहीं हो। कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिवक्ता श्री डी.के. सक्सेना ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि अधिवक्तागणको पूरी तैयारी के साथ निष्पक्षता से अपना प्रकरण न्यायालय के समक्ष रखना चाहिए। अधिवक्ता श्री दीपक भंडारी अभिभाषक संघ के अध्यक्ष ने भी गरीब व्यक्तियों को निःशुल्क विधिक सहायता दिये जाने के संबंध में अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम में सभी सम्मानीय अधिवक्तागण उपस्थित रहें।
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