14 वीं शताब्दी की शुरुआत में योरदम नामक एक गोंड योद्धा ने गढ़ा मंडला में अपने मुख्यालय के साथ गोंड साम्राज्य की स्थापना की।
*रानी कमलापति बनाम  हबीबगंज*
14 वीं शताब्दी की शुरुआत में योरदम नामक एक गोंड योद्धा ने गढ़ा मंडला में अपने मुख्यालय के साथ गोंड साम्राज्य की स्थापना की। 
गोंड वंश में मदन शाह, गोरखदास, अर्जुनदास और संग्राम शाह जैसे कई शक्तिशाली राजा थे। मालवा में मुगल आक्रमण के दौरान भोपाल राज्य के साथ क्षेत्र का एक बड़ा क्षेत्र गोंड साम्राज्य के कब्जे में था। इन प्रदेशों को चकलाओं के रूप में जाना जाता था जिनमें से चकला गिन्नौर 750 गांवों में से एक था। भोपाल इसका एक हिस्सा था। गोंड राजा निज़ाम शाह इस क्षेत्र का शासक था।

चैन शाह के द्वारा जहर खिलाने से निज़ाम शाह की मृत्यु हो गई। उनकी विधवा, कमलावती और पुत्र नवल शाह असहाय हो गए। नवल शाह तब नाबालिग था। 

निज़ाम शाह की मृत्यु के बाद, रानी कमलावती ने दोस्त मोहम्मद खान के साथ एक समझौता किया, ताकि वे राज्य के मामलों का प्रबंधन कर सकें।
 दोस्त मोहम्मद खान एक चतुर और चालाक कट्टर जेहादी  मुस्लिम अफगान था , जिसने छोटी रियासतों का अधिग्रहण शुरू किया। रानी कमलावती इन्हें भाई मानती थी ,पर दोस्त मोहम्मद रानी कमलावती (जो कि बहन थी ) उन पर ही खुद से शादी के लिए दबाव बनाने लगे तब रानी कमलावती ने हिन्दू परम्परा और संस्कृति की रक्षा के लिए छोटे तालाब में जल जोहर कर लिया ।

हबीब गंज रेलवे स्टेशन का नाम रानी कमलावती करना जनजातीय समाज के लिए एक सम्मान का विषय है ।

रानी कमलावती की मृत्यु के बाद। दोस्त मोहम्मद खान ने गिन्नोर के किले को जब्त कर लिया, विद्रोहियों पर अंकुश लगा दिया, बाकियों पर उनके नियंत्रण के हिसाब से अनुदान दिया और उनकी कृतज्ञता अर्जित की।

छल और कपट से, देवरा राजपूतों को नष्ट कर दिया और उन्हें भी मारकर नदी में बहा दिया; जिसे तब से सलालीटर्स की नदी या हलाली डेम  के रूप में जाना जाता है।

हबीबगंज स्टेशन का निर्माण अंग्रेजों ने करवाया था. तब इसका नाम रानी कमलावती के शाह  वंश के नाम पर शाहपुर था. लेकिन साल 1979 में कांग्रेस सरकार में इस रेलवे इस स्टेशन का विस्तार किया गया  और इसका नाम नाम हबीबगंज रखा गया. उस समय एमपी नगर का नाम गंज हुआ करता था, दोनों को जोड़कर हबीबगंज रखा गया था. हबीबगंज का नाम भोपाल के नवाब हबीब मियां के नाम पर है. हबीब मियां ने 1979 में स्टेशन के विस्तार के लिए अपनी जमीन दान में दी थी, पर नवाबो के पास जो भी जमीन थी वो तो जनजातीय समाज की रानी कमलावती से ही हड़पी गयी थी । नया भारत अपनी खोई होई धरोहर को वापिस ले रहा है ....
*धन्यवाद मोदी सरकार*