अपने ही खिलाफ दर्ज मामले में जिला पुलिस अधीक्षक ने पेश किए न्यायालय में झूठे साक्ष्य
अपने ही खिलाफ दर्ज मामले में जिला पुलिस अधीक्षक ने पेश किए न्यायालय में झूठे साक्ष्य

*बाड़मेर एसपी की राजद्रोह एवं आईटी एक्ट का उल्लंघन जैसे मामले में अपने आप को बचाने की पुरजोर कोशिश*

बाड़मेर
भारत सरकार द्वारा प्रतिबंधित किए गए कैमस्कैनर ऐप को उपयोग में लेने सरकारी दस्तावेजों में इसका प्रयोग करने के बाद आरटीआई कार्यकर्ता भगवान सिंह लाबराऊ के द्वारा कोर्ट के जरिए सेशन न्यायालय बाड़मेर में विचाराधीन प्रकरण मैं सुनवाई होने के बाद जिला पुलिस अधीक्षक आनंद शर्मा ने अपना बचाव करते हुए झूठे दस्तावेज पेश किए। प्रतिबंधित ऐप कैमस्कैनर का उपयोग करने पर भगवान सिंह लाबराऊ के द्वारा न्यायालय में 156(3) दण्ड प्रक्रिया संहिता के तहत एफआईआर दर्ज करने का आदेश करवाया था न्यायालय ने आनंद शर्मा जिला पुलिस अधीक्षक बाड़मेर के खिलाफ  आईपीसी की धारा 124a राजद्रोह एवं आईटी एक्ट 69 के अंतर्गत पुलिस थाना कोतवाली बाड़मेर को प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था जिसमें आरोप था कि जिला पुलिस अधीक्षक द्वारा जारी आरटीआई आवेदन के अपील की सुनवाई के बाद जवाब पत्र में कैम स्कैनर एप का प्रयोग किया गया जोकि भारत सरकार के द्वारा प्रतिबंधित ऐप की श्रेणी में आता है तथा इसका प्रयोग राष्ट्रद्रोह एवं आईटी एक्ट का उल्लंघन करने के बराबर माना गया है अतः पद का दुरुपयोग करते हुए जिला पुलिस अधीक्षक आनंद शर्मा ने यह आपराधिक कृत्य किया जिसके लिए आवश्यक दंडात्मक कार्यवाही की जानी चाहिए थी लेकिन पुलिस अधीक्षक बाड़मेर आनंद शर्मा अपने बचाव में रिवीजन कोर्ट में जाकर अपने बचाव में झूठे साक्ष्य पेश कर स्टे करवा दिया था। पुलिस अधीक्षक ने अपना बचाव करते हुए अपने अधिवक्ता के द्वारा रिवीजन कोर्ट में प्रार्थना पत्र के साथ झूठा शपथ पत्र प्रस्तुत कर कोर्ट को गुमराह करने का प्रयास किया था जिस पर परिवादी भगवानसिंह लाबराऊ ने रिवीजनकर्ता पुलिस अधीक्षक आनंद शर्मा के विरुद्ध रिवीजन कोर्ट में धारा 195, 340 दण्ड प्रक्रिया संहिता में प्रार्थना पत्र पेश किया है।