बौद्ध विहार शोभापुर में विपासना शिविर का हुआ समापन।
बौद्ध विहार शोभापुर में विपासना शिविर का हुआ समापन।

बैतूल/सारनी। कैलाश पाटील

17 अक्टूबर रविवार को बड़े हर्षोल्लास के साथ में मनाया कार्यक्रम की शुरुआत 10.30, बजे से 1 बजे परम पूज्य डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर महामानव तथागत गौतम बुद्ध के समीप मोमबत्ती प्रज्वलित करके पुष्प अर्पित किए एवं पूज्य भंते जी धम्मगुरु दीपांकर भंते के द्वारा परित्राण पाठ, त्रिशरण, पंचशील समस्त उपासक एवं उपासिकाओ के द्वारा संपन्न किया गया।तत्पश्चात सुजाता बौद्ध विहार शोभापुर के द्वारा बहुजन समाज के मेघावी छात्र छात्राओं को प्रशस्ति पत्र एवं शील्ड से सम्मानित किया गया जो अपने बहुजन समाज का नाम जिले से लेकर प्रदेश, प्रदेश स्तर से लेकर केंद्र स्तर से लेकर विदेश तक गौरान्वित कर रहे हैं। कार्यक्रम का संचालन आयुष्मान ईश्वर मंडलेकर ने किया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सारनी नगरपालिका अध्यक्ष आशा महेंद्र भारती बैतूल जेएच कॉलेज के डॉक्टर सुखदेव डोंगरे, दमुआ से बोद्ध समाज सेवक विनोद निरापुरे, बैतूल बौद्ध विहार के अध्यक्ष धनराज चंदेलकर, महेन्द्र भारती, भीम सेना ब्लाक अध्यक्ष अमजद खान, वार्ड पार्षद संगीता कापसे, भीम नगर बडौरा बैतूल से मीना पाटील, जसवंती चौकीकर, गीता नागले, पाथाखेडा बौद्ध विहार से सुषमा महाजन, आदि वक्ताओ ने अपने वक्तव्य दिए। सर्वप्रथम सुषमा महाजन ने महिलाओं और समानता के अधिकार पर प्रकाश डाला। डॉ सुखदेव डोंगरे ने सम्राट अशोक कलिंग युद्ध पर प्रकाश डाला। मीना पाटिल ने सावित्री बाई फुले के जीवन पर प्रकाश डाला। श्याम ठाकरे ने तथागत गौतम बौद्ध और बाबा साहब ने एससी एसटी ओबीसी को क्या दिया, उस पर प्रकाश डाला। महेंद्र भारती ने संविधान से हमें क्या अधिकार मिले एक चपरासी से लेकर राष्ट्रपति तक बाबा साहब के दिये आरक्षण पर प्रकाश डाला एवं सभा के प्रमुख वक्ता के रूप में बौद्ध समाज सेवक समस्त मध्यप्रदेश के समस्त जिले से लेकर हर ग्रामीण स्तर तक अंबेडकरवाद को फैलाने वाले  दमुआ के विनोद निरापुरे ने अपने वक्तव्य में मनुस्मृति से लेकर अंबेडकरवाद और धम्म के ऊपर बहुत स्टीक उदाहरण देकर अपने वक्तत्व रखें एवं सभी उपासक उपासिकाओ ने विनोद निरापुरे के वक्तत्व की बहुत सराहना की। इस कार्यक्रम में उपस्थित समस्त सुजाता बौद्ध विहार शोभापुर की टीम भीम सेना ब्लॉक की टीम एवं समस्त नगर के उपासक एवं उपाशीकाओ की उपस्थिति प्रार्थनीय रही।