जंगली पशुओं की जान का गुनहगार कौन

 जंगली पशुओं की जान का गुनहगार कौन


घोड़ाडोंगरी क्षेत्र में शाहपुर से बैतूल मुख्य मार्ग में  पूरे 3 किलोमीटर के घाट जिसको बरेठा घाट के नाम से जाना जाता है यहां पर बरेठा बाबा के मंदिर के पास फारेस्ट विभाग ने एक बोर्ड भी  लगा रखा है जंगल के पशुओ को रोड पर कोई भी खाने की चीज न डाले क्योंकि जब कोई खाने की सामग्री इनके लिए डालते है तो यह पशु  ( बंदर ) रोड पर आ जाने से कई बंदर  को  अपनी भूख मिटते मिटते  जान देकर भी  नुकसान उठाना पड़ता  है फिर भी लोगों को इनकी कोई जान की परवाह न करते हुए  रोड के किनारे खड़े होकर बीच रोड में खाने का सामान फेंककर इन बंदरों को बुलाकर रोड में भीड़ करवा लेते हैं  इन कुछ लोगो की वजह से आज तो इनकी ( बंदरों ) की भूख तो मिट जाएंगी मगर जिस दिन इनको खाने के लिए कुछ न मिला तब यही यह से अकेले आने जाने वाले मुशाफिरो पर हावी होने का खतरा बना रहेगा इसलिए अपराध करने वाली के खिलाफ कारवाही होनी ही चाहिए जबकि यह फॉरेस्ट विभाग की तरफ से बोर्ड में साफ साफ लिखा है की जंगली पशुओं को खाद्य पदार्थ न  देने की बात लिखी है जो कि दंडनीय अपराध है आज तक अपराधियों को ना ही फॉरेस्ट विभाग ना ही प्रशासन की तरफ से अब तक कोई कार्रवाई इन पर नही हो पाई है वह चैन और आलीशान तरीके से बंदरों को बीच रोड में खाने की चीजें देकर खुश हो कर चले जाते हैं लेकिन इसका भूगतमान तो इन मूकबधिर बंदरों को भुगतना पड़ता है आए दिन आते जाते समय बंदरों को मरा हुआ भी देखा गया है तेज रफ्तार एवम आड़ मोड़ की वजह से एकदम से सामने आ जाने पर इनकी मौत हो जाती है इतना कुछ होना मालूम होने पर भी लोग धड़ल्ले से इस घाट में रोज  गाडियां रोककर ऐसी घटनाओं को अंजाम देते दिखते है ऐसी घटनाएं  रोज घाट में देखने के लिए मिलती रहती है लेकिन इन मुसाफिरो पर कोई क्या कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं फॉरेस्ट अधिकारी एवं प्रशासन की लापरवाही साफ झलकती नजर आती है

घोड़ाडोंगरी रिपोर्टर मनोज पवार