कोचिंग संस्थान कौटिल्य एकेडमी के द्वारा विद्यार्थियों से धोखाधड़ी का मामला।
कोचिंग संस्थान कौटिल्य एकेडमी के द्वारा विद्यार्थियों से धोखाधड़ी का मामला।

बैतूल। कैलाश पाटील

अखिल भारतीय विद्या परिषद जिला बैतूल के जिला संयोजक देवेंद्र धुर्वे ने प्रेस नोट के माध्यम से बताया कि जो कि कोठी बाजार में स्थित एकेडमी में एमपीपीएससी की तैयारी करने हेतु कोचिंग संस्थान कौटिल्य एकेडमी में प्रवेश हेतु 18 महीने की निर्धारित अवधि के अनुसार कोर्स पूर्ण करने हेतु  ₹50000 का शुल्क निर्धारित की गई थी जबकि एकेडमी में छात्रों के लिए कोई शुल्क नहीं है फिर भी अलग-अलग कोर्स के हिसाब से शुल्क वसूली जा रही है मगर कुछ छात्राओं ने ₹25000 शुल्क के हिसाब से उक्त विषयों का कोर्स पूर्ण करने के लिए ₹10000 अब तक जमा कर चुके हैं किंतु एकेडमी द्वारा केवल तीन माह में कक्षा में पाठ्यक्रम के हिसाब से बहुत कम अंश पूर्ण किया गया अब आगे की कक्षाओं के लिए पुनः फीस मांगी जा रही है अन्यथा एकेडमी में बैठने की अनुमति इन छात्राओं को नहीं दी जाएगी ऐसा एकेडमी के कार्यरत लोगों का कहना है। जबकि प्रशासन के निर्देशानुसार छात्राओं को जिन भी सुविधाये उपलब्ध करवाई जा रही है वहां सुविधाएं पूरी तरह से नदारद दिखाई दी जैसे गर्ल्स शौचालय लाइब्रेरी का नहीं होना और टेस्ट सीरीज भी नहीं करवाई जा रही है। यहां के स्टाफ को बार-बार बदला जा रहा है स्वच्छता का भी अभाव नजर आता है। छात्राओं के साथ स्टाफ के द्वारा दुर्व्यवहार भी साफ तौर से दिखाई देता है। प्रोजेक्टर से पाटन का भी आश्वासन दिया जा रहा है मगर यह प्रक्रिया भी नदारद नजर आई। इस वजह से छात्राओं में इस बेतुके सिस्टम की वजह से काफी आक्रोश और असंतोष नजर आया। इस एकेडमी में सभी विद्यार्थी मध्यम वर्गीय परिवार में जीवन शैली में जीवन यापन करने वाले लोग है और यह सभी लोग मेहनत से पठन-पाठन करके अपने माता पिता के अथक प्रयास से एकेडमी में पैसे देकर बच्चों की फीस की व्यवस्था करते है कोचिंग संस्थान के दुर्व्यवहार की वजह से कुछ छात्राओं को मानसिक रूप से परेशान होकर अवसाद जैसी स्थिति में भी देखा गया है ऐसी व्यवस्था होने की वजह से इस कोचिंग संस्थान एकेडमी में कुछ विद्यार्थियों ने जिला मुख्य कलेक्टर महोदय एवं एस डी एम साहब को ज्ञापन देकर छात्राओं पर अत्याचार होने वाले दुर्व्यवहार और मानसिक उत्पीड़न होने की वजह से कलेक्टर महोदय को ज्ञापन देकर अवगत कराया गया देखना यह है कि इन पर कार्रवाई जिला कलेक्टर महोदय कब तक करवा पाते हैं