गांधी जी व शास्त्री जी के विचार आज भी प्रासंगिक - चौधरी फूल चंद मुलाना
गांधी जी व शास्त्री जी के विचार आज भी प्रासंगिक - चौधरी फूल चंद मुलाना
बराड़ा, (जयबीर राणा थंबड़)। कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी व पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती कांग्रेस कार्यलय बराड़ा में मनाई गई। जिसमें हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष चौधरी फूल चंद मुलाना जी मुख्यरूप से उपस्थित रहे।पूर्व अध्यक्ष ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी एवं पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के छाया चित्र पर माल्यापर्ण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।चौधरी ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज के दिन देश की दो महानविभूतियों महात्मा गांधी और लालबहादुर शास्त्री ने जन्म लिया था। इन दोनों स्वतंत्रता सेनानियों ने देश को ब्रिटिश हुकूमत से आजाद कराने में अतिमहत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बापू ने हमें 'सत्य और अहिंसा' के मार्ग पर चलना सिखाया, तो शास्त्री जी ने 'जय जवान-जय किसान' का नारा दिया। महात्मा गांधी एक ऐसी शख्सियत थे, जिनके बताए मार्ग का आज भी देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी लोग अनुसरण करते हैं।गांधी जी इस बात में विश्वास रखते थे कि हिंसा के रास्ते पर चलकर आप कभी भी अपने अधिकार नहीं पा सकते। उन्होंने विरोध करने के लिए सत्याग्रह का रास्ता अपनाया। उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ़ कई आंदोलन किए।चंपारण सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन, दांडी सत्याग्रह, दलित आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन उनके कुछ प्रमुख आंदोलन है। जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य की नींव कमजोर करने में बड़ा रोल अदा किया।गांधी जी नारी सशक्तीकरण के लिए भी हमेशा प्रयासरत रहे।पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी भी सच्चे गांधीवादी थे। जिन्होंने अपना सारा जीवन सादगी से बिताया और उसे गरीबों की सेवा में लगाया। भारतीय स्वाधीनता संग्राम के सभी महत्वपूर्ण कार्यक्रमों व आंदोलनों में उनकी सक्रिय भागीदारी रही और उसके परिणामस्वरूप उन्हें कई बार जेलों में भी रहना पड़ा। स्वाधीनता संग्राम के जिन आंदोलनों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही उनमें 1921 का असहयोग आंदोलन, 1930 का दांडी मार्च तथा 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन उल्लेखनीय हैं।
इन दोनों महानविभूतियों के विचार आज भी प्रासंगिक हैं,जो जीवन जीने की कला सिखाते हैं। आइए, हम सब उनकी शिक्षाओं, आदर्शों और जीवन-मूल्‍यों का अनुसरण करते हुए यह संकल्‍प लें कि हम सब उनके सपनों का भारत बनाने की दिशा में सदैव प्रयत्‍नशील रहेंगे।