तीतर, मोर, बटेर हमारी जैव विरासत- बबीता
तीतर, मोर, बटेर हमारी जैव विरासत- बबीता

जैव विविधता बोर्ड द्वारा चलाया गया जागरूकता अभियान


चरखी दादरी (उमेश सतसाहेब)


चरखी दादरी- हमारे आसपास रहने वाले पक्षी, पहाड़, तालाब, पौधे, जंतु धरती की असल विरासत है। इनकी रक्षा करना और इनको शरण देना हमें प्रकृृति का दिया हुआ फर्ज है, जिसे अवश्य निभाना चाहिए। जैव विविधता  बोर्ड की जिला समन्वयक बबीता श्योराण ने गांव नीमड़-बडेसरा, हंसावास खुर्द, चांदवास में जैव प्रबंधन समितियों की बैठकों को संबोधित करते हुए ये बात कही। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संपदा की रक्षा के लिए केंद्रीय स्तर पर सरकार ने जैव विविधता बोर्ड गठित किया है। जिसकी दादरी जिला के सभी 166 गांवों में जैव प्रबंधन समिति (बीएमसी) बना दी गई हैं। अब बारी-बारी से इन समितियों की बैठक आयोजित कर ग्रामवासियों को बोर्ड की ओर से किए जाने वाले कार्यों के बारे में समझाया जा रहा है। बबीता श्योराण ने कहा कि किसी गांव में वन्य भूमि है तो उसका संरक्षण करने के लिए बीएमसी अपना योगदान दे सकती हैं। संरक्षित  भूमि में पेड़-पौधों के अलावा वहां रहने वाले जीवों की भी रक्षा की जाएगी। इस भूमि या स्थान को जैव विविधता विरासत (बीएचएस)का नाम दिया गया है। उदाहरण के तौर पर गांव निमड़ बडेसरा की बणी को बीएचएस बनाया जा सकता है। इस बणी में कैर, खेतड़ी, पीपल, रहेड़ा, लेसुआ, जाल, नीम आदि के वृक्ष बहुतायत में हैं। इसके अलावा यहां लोमड़ी, गीदड़, गौपाटड़ा, बाघल, बत्तख, मोर, कोयल, गुरसल, तीतर, खरगोश इत्यादि जीव-जंतु भी काफी संख्या में हैं। करीब नौ सौ बीघा की इस बणी के बीच में एक सुंदर जोहड़ी भी मौजूद है, जो कि पशु, पक्षियों को सहसा ही अपनी ओर आकर्षित कर लेती है।
ग्रामवासियों ने इन बैठकों में अपने सुझाव रखते हुए कहा कि वन विभाग और प्रशासन उनकी सहायता करे तो इस वन संपदा की रक्षा के लिए वे तैयार है। अभी तक उन्होंने इस दिशा में काफी प्रयास किए हैं। इस अवसर पर जगबीर सिंह, अजेब सिंह, रविंद्र, धर्मवीर, नरेंद्र, जितेंद्र, ओमबीर, सतबीर, रामकिशन इत्यादि उपस्थित रहे।