ठंड का प्रतीक(खतड़उआ) पुतले का किया दहन ।प्रसाद के रूप में बाँटी ककड़ी।
ठंड का प्रतीक(खतड़उआ) पुतले का किया दहन ।प्रसाद के रूप में बाँटी ककड़ी।
रिपोर्ट ललित जोशी छायाकार धर्मा चन्देल।
नैनीताल । सरोवर नगरी व पूरे उत्तराखंड में आज से ठंड का प्रकोप जारी हो गया है ऐसा कहा जाता है । ठंड से बचने के लिये आज के दिन अधिकांश क्षेत्रों में एक पुतला (खतड़उआ)बनाया जाता है। उसका सांयकाल के समय दहन कर ककड़ी का प्रसाद बांटा जाता है। कहा जाता है आज से ठंड की शुरुआत हो गयी है। यहाँ बता दे यह पुतले दहन का कार्यक्रम पर्वतीय क्षेत्रों में बनाया जाता है। इसका प्रमुख कारण यह भी है । 
वर्षा ऋतु के समाप्त होने तथा शरद ऋतु के प्रारंभ में यानी आश्विन माह के प्रथम दिन (कन्या संक्रांति ) को मनाया जाने वाला यह  उत्तराखंड के सिर्फ पर्वतीय क्षेत्रों  में ही मनाया जाता है।
 पर्वतीय क्षेत्रों के भू भाग में मनाए जाने वाला यह त्यौहार मूल रूप से गायों को समर्पित है। क्योंकि पर्वती भू भाग में कोई बड़े उद्योग धंधे ना होने के कारण वहां पर लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती करना व पशु पालना ही है ।
उनका पूरा जीवन इन्हीं दो चीजों पर आधारित है। या यूं कह सकते हैं कि किसान की सबसे अमूल्य संपत्ति उसका पशु और उसकी भूमि ही होती है। इसीलिए इन जगहों पर प्रकृति और पशुओं से संबंधित अनेक त्यौहार समय-समय पर या ऋतु परिवर्तन के वक्त मनाए जाते हैं। जिनके कई वैज्ञानिक आधार भी हैं ।लेकिन उन त्योहारों को एक लोक पर्व के रूप में मनाया जाता है। छोटे बालक निहिर गोस्वामी ने अपनी कला से पुतले का चेहरा बनाया । जो आप पुतले में साफ देख सकते हैं। इस अवसर पर ललित गोस्वामी, हर्षित जोशी,भव्यांश गोस्वामी ,समेत कई लोग मौजूद थे।
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