बुंदेलखंड में संत शिरोमणि पं. ज्ञानेंद्र वैद्य (बिट्टू महाराज) के दिव्य वचन पित् तर्पण शुभारंभ पितरों की सेवा का पक्ष श्राद्ध पक्ष बोले अदृश्य रूप में देते आशीर्वाद।
बुंदेलखंड में संत शिरोमणि पं. ज्ञानेंद्र वैद्य (बिट्टू महाराज) के दिव्य वचन पित् तर्पण शुभारंभ पितरों की सेवा का पक्ष श्राद्ध पक्ष बोले अदृश्य रूप में देते आशीर्वाद।

देश में भाद्रपद शुक्ल पक्ष पंद्रह से पित् तर्पण शुभारंभ हो गया, जिसका समापन आगामी 6 अक्टूबर को पित् मोक्ष अमावस्या को होगा l आश्रिन मास के कृष्ण पक्ष में सभी मृतक पितरों का श्राद्ध करने का विधान है l जीवित पिता की सेवा तो की जाती है लेकिन मृत पितरों की सेवा हेतु भारतीय संस्कृति में श्राद्ध पक्ष माना जाता है, जिन माता पिता से हमें मनुष्य का शरीर प्राप्त हुआ लालन परिबारिश हुई उनकी आदर सत्कार में हमें उन्हें स्मरण कर उनका श्राद्ध ना करें तो हजारों जन्म तक उनके रण से मुक्त नहीं हो सकते और इस जन्म में भी कष्ट उठाने पड़ेंगे । श्राद्ध पक्ष की संबंधित जानकारी देते हुए बुंदेलखंड में धार्मिक कार्यों से जन सेवा कर रहे संत शिरोमणि ज्ञानेंद्र वैद्य (बिट्टू महाराज) ने बताया कि श्राद्ध कर्म धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं इसमें वैज्ञानिकता भी छिपी हुई है l संत शिरोमणि पंडित ज्ञानेंद्र वैद्य (बिट्टू महाराज) ने बताया कि जो जीव पित्तलोक को प्राप्त होते हैं उनके लिए प्रदान किए हुए विंडो एवं ब्राह्मण भोजन के सूक्ष्मप उनके पास पहुंच कर उनको तप्त करते हैं, जिनसे वह सुख प्राप्त कर पिंडदाता एवं श्राद्धकर्ता पुत्रों आदि को अदृश्य रूप में आशीर्वाद देकर चले जाते हैं l संत शिरोमणि पंडित ज्ञानेंद्र वैद्य (बिट्टू महाराज) ने बताया कि श्राद्ध कर्म से संतुष्ट होकर पितर मनुष्यों के लिए आयु, पुत्र, यश और कीर्ति, सुख शांति और सुख देते हैं l श्राद्ध से बढ़कर कोई दूसरा कल्याण पथ मार्ग नहीं है l मनुष्य को पूर्ण श्राद्ध एवं विधि विधान के साथ सामर्थ्य अनुसार श्राद्ध अवश्य करना चाहिए l