रिपोर्ट केशर सिंह नेगी थराली
सर्वप्रथम थराली को जिला बनाने की मांग अविभाजित उत्तर प्रदेश में तत्कालीन बद्री केदार विधानसभा क्षेत्र के विधायक प्रताप सिंह पुष्पा ने उत्तर प्रदेश की विधानसभा में 1979 मे उठाई थी। चार दशकों में कई बार मांग को लेकर यहां के लोगों ने आंदोलन किए, बावजूद इस जिले की मांग पूरी नहीं हो पाई। जिले की मांग सर्वप्रथम वर्ष 1979 में अविभाजित उत्तर प्रदेश की विधानसभा में बद्री केदार विधानसभा की तत्कालिक विधायक प्रताप सिंह पुष्पबाण ने रखी थी । तब सदन में विधायक की इस मांग को गंभीरता से सुना गया था, और भविष्य में जिलों के गठन पर थराली को प्राथमिकता से जिला बनाए जाने की बात कही गई थी। अविभाजित उत्तर प्रदेश में चमोली जिला भूगोल की दृष्टि से प्रदेश के बड़े जिलों में एक था। इसीलिए भौगोलिक परिस्थितियों के कारण पिंडरघाटी की जनता ने क्षेत्र को जिला बनाने की मांग शुरू कर दी थी। यहां के लोगों ने वर्ष 1988, 1995, 1996, 1998, 2002, 2006 एवं 2012 में जिले की मांग को लेकर आंदोलन किए हैं। वर्ष 1992 में तो पिंडर घाटी के युवाओं ने संगठित होकर 22 दिनों तक जिले की मांग सहित अन्य मांगों को लेकर आमरण अनशन भी किया था। तब उत्तर प्रदेश के पर्वतीय विकास मंत्री बर्फियां लाल जुवाठा ने आंदोलनकारियों को आश्वस्त किया था कि जिलों का गठन होगा तो थराली को प्राथमिकता दी जाएगी। बाद में रुद्रप्रयाग जनपद बना दिया गया। उत्तराखंड मे जिले की मांग पर पूर्व विधायक ने प्रोफ़ेसर जीतराम ने जन दबाव के बाद अपनी विधायकी के दौरान थराली को जिला बनाए जाने की मांग को लेकर अपना त्यागपत्र भी विधानसभा को भेज दिया था। तब भी उन्हें आश्वस्त किया गया था कि जब भी जिले की बात होगी थराली को प्राथमिकता दी जाएगी। बावजूद इसके कई वर्ष बीत गए जिले की मांग नेपथ्य में चले गई। अब यहां के लोग इस बात पर भी चर्चा करने लग गए कि कभी थराली जिला बन भी पाएगा या नहीं। क्या यहां के प्रतिनिधि जिले की मांग को भूल गए या मांग ही नेपथ्य में चले गई।