संस्कार भारती की ऑनलाइन साहित्य संगोष्ठी- भाग 9
बैतूल/सारनी। कैलाश पाटील
हमारे लिए यह सौभाग्य का विषय है कि हम स्वाधीनता का अमृत महोत्सव मना रहे हैं।हमें यह स्वाधीनता अनेक बलिदानों के फलस्वरूप प्राप्त हुई है। आज हम राष्ट्र के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले हुतात्माओं का पुण्य स्मरण कर रहे हैं। अनेक कवियों और लेखकों ने अपनी राष्ट्रीय भावनाओं से युक्त रचनाओं के माध्यम से भारतीय जन मानस को उद्वेलित कर विदेशी सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए तैयार किया। हर परिस्थिति में साहित्यकार समाज को दिशा देने का कार्य करता है। इतिहास और साहित्य के बीच घनिष्ठ संबंध है । दोनों ही एक दूसरे को प्रभावित करते हैं। साहित्य में राष्ट्रीयता और संस्कृति का प्रवाह समाज को सजग व चैतन्य बनाए रखता है।उक्त विचार डॉ. हंसा व्यास प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष इतिहास, होशंगाबाद ने संस्कार भारती मध्य भारत प्रांत की भोपाल महानगर इकाई द्वारा ऑनलाइन आयोजित साहित्य संगोष्ठी के नवें भाग में मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किए। डॉ. हंसा व्यास ने अपने उद्बोधन में स्वाधीनता आंदोलन में साहित्यकारों के योगदान पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए बंकिमचंद्र, भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, प्रसाद, माखनलाल चतुर्वेदी तथा गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की पंक्तियों को उद्धृत किया। संगोष्ठी का शुभारंभ श्रीधर आचार्य द्वारा प्रस्तुत संस्कार भारती के ध्येय गीत के साथ हुआ। तत्पश्चात् साहित्य संगोष्ठी की संयोजिका कुमकुम गुप्ता ने संगोष्ठी की प्रस्तावना रखी। संगोष्ठी में कवियत्री तपन तोमर "बागी" ने काव्य पाठ किया।पुस्तक परिचय के क्रम में डॉ.सरोज गुप्ता ने पं.ज्वाला प्रसाद ज्योतिषी की काव्य कृति "पाञ्चजन्य की पुकार" का परिचय देते हुए कुछ कविताओं का पाठ किया। संगोष्ठी का कुशल संचालन दुर्गा मिश्रा ने तथा युवा कवि राजेन्द्र राज हरदा ने आभार प्रकट किया। इस अवसर पर अनीता करकरे , मोतीलाल कुशवाह , अंबादास सूने , नसरीन सिददकी, प्रतिभा ठाकुर, कल्पना सोनी, पुष्पलता बारंगे, भोपाल से सुमन ओबेराय, अरूणा शर्मा आनंद नंदेशवर, डाली पंथी,संतोष प्रजापति बाबई सहित मध्यभारत प्रांत की विभिन्न इकाइयों से बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं ने ऑनलाइन सहभागिता की।