बैतूल/सारनी। कैलाश पाटील
आज हमारा देश पड़ोसी देशों के कार्यकलापों की वजह से परेशान है साथ-ही-साथ आतंकवाद से भी परेशान है रोजाना इनसे मुकाबला करने के लिए हमारे देश की सेना निरंतर कठिनाईयों से संघर्ष करते हुए अपने देश की रक्षा के लिए जुटी हुई है कभी-कभी हमारे सुरक्षा कर्मी भाई शहीद भी हो रहे है ऐसी परिस्थिति में जब हमारा देश संकट में है तो हमारे देश की सरकार देश के अंदर जो सुरक्षा संबंधी हथियार गोला बारूद आदि बनाने वाले 80 हजार कर्मचारी दिन रात मेहनत करके सुरक्षा साधनों का उत्पादन बढ़ाने में अपनी जी जान लगाये हुए है ऐसी हालत में हमारी सरकार उनके कारखाने जमीन जायदाद आदि को बिक्री करने जा रही है जिसका विरोध करीब 5 वर्षों से करते चले आ रहे है उन्होंने इसके विरोध में दो साल पहले हड़ताल करने का मतदान करके बताया था कि उपरोक्त कार्य अवैधानिक यदि सरकार अपने निर्णय को वापस नहीं लेती है तो सारे श्रमिक अपने उद्योगों की रक्षा के लिए हड़ताल करेंगे । सरकार ने आश्वासन दिया था कि हम यदि कोई काम करेंगे तो उनकी राय हमारे लिए सर्वपरि रहेगी परन्तु इसके बाद पिछले कुछ दिनों से सरकार ने निजी मालिकों को बिक्री करने का निर्णय लिया जिसको लेकर 8 जुलाई 2021 को काला दिवस मनाने जा रहे है क्योंकि सरकार ने उनके संगठनों के नेताओं को गिरफतार करने एवं सजा आदि बनाने के कानून का अध्यादेश राष्ट्रपति से मंजूर कराया है ताकि 26 जुलाई 2021 को हड़ताल को कुचला जाय सरकार के इस निर्णय का विरोध देश के सभी मजदूर संगठनों ने किया है। याद रहे कि कोरोना बीमारी के आक्रमण के आशीर्वाद से सरकार ने देश के अंदर तमाम प्रदर्शन, जुलुस आदि पर रोक लगाई है। जिसकी वजह से देश के श्रमिकगणों के जबान पर ताला लगा हुआ ताकि उनकी आवाज कोई अन्य ना सुन सके । सरकार ने कोयला उद्योग को और आगे सार्वजनिक उद्योग को बेचने का निर्णय लिया तथा कुछ खजानों का नीलाम भी किया है ऐसा अन्य उद्योगों में भी अन्दुरूनी तरीके से हो गया है जिसके लिए सरकार ने आज तक श्रमिकगणों, उनके संगठनों के साथ बिना चर्चा किये उनको मिले 44 श्रमिक कानूनों को रद्द कर सिर्फ चार कानूनों का कोड बना दिया। वह भी राष्ट्रपति स्वीकृत हो गया कुछ राज्यों के विरोध करनें से अभी लागू नही किया गया है। इसका विरोध भी श्रमिक संगठनों ने किया परन्तु सरकार ने कभी उन्हें बुलाया और न कोई चर्चा की और इसी प्रकार किसानों को मेरे अधिकार के कानून को खत्म कर नया कानून बनाया है। जिसपर किसानों से न तो कोई चर्चा की न तो कभी कोई बात की और लागू कर दिया जिसके विरोध में संपूर्ण किसान संगठनों ने करीब 6 माह से ज्यादा समय हो गया है प्रदर्शन धरना आदि चल रहा है। उनसे 10-11 आंदोलन के बाद चर्चा हुई परन्तु सरकार अपने ईरादों से हट नही रही है। देश के अंदर पेट्रोल डीजल के भाव एवं जीवन उपयोगी सामान के भाव आसमान पर चढ़ रहे है। सरकार फिर भी खामोश है।
जनता भी जागरूक हो रही है और जागरूता की ओर बढ़ रही है आने वाले समय में सरकार की उक्त हिटलर शाही नीति का विरोध करने के लिए जनता मैदान में आने की तैयारी कर रही है। ऐसी हालत में हमारा आपका फर्ज हो जाता है कि हम सरकार के जनविरोधी नीति बड़ती हुई मंहगाई आदि के खिलाफ एक होकर सरकारको मजबूरकरे कि उन्होंने जनहित के खिलाफ जितने भी कानून बनाये उन्हें भी वापस लिया जाय।