तप और साधना के फलस्वरूप स्वयं प्रसूता रचना ही कालजयी होती है-
तप और साधना के फलस्वरूप स्वयं प्रसूता रचना ही कालजयी होती है-  पचौरी

बैतूल/सारनी। कैलाश पाटील

जब रामत्व हमारे जीवन में आ जाता है तब कम शब्दों में गंभीर अर्थ की रचनाएँ आती हैं। "अमित अरथ अरु आखर अति थोरे" हमारी रचना की कसौटी है। यही साहित्यकार की बड़ी ताकत होती है। परंतु यह तब संभव है जब तप के माध्यम से रचना निकलती है। बिना तप के जो होता है वह केवल तुकबंदी और क्षणजीवी रचना होती है, कालजयी रचना तो स्वयं-प्रसूता होती है। उक्त विचार भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय महामंत्री , चिंतक, विचारक एवं मानस मर्मज्ञ डॉ. उमाशंकर पचौरी ने संस्कार भारती  मध्यभारत प्रांत के भोपाल महानगर इकाई द्वारा ऑनलाइन माध्यम से आयोजित द्वितीय साहित्य संगोष्ठी को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। डॉ.पचौरी ने अपने उद्बोधन में राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की पंक्ति " केवल मनोरंजन न कवि का कर्म होना चाहिए, उसमें उचित उपदेश का भी मर्म होना चाहिए" को उद्धृत करते हुए रचनाकारों से कहा कि ऐसा लिखो जो समाज और पीढ़ी को गढ़ने वाला हो। इसके पूर्व श्रीमती दुर्गा मिश्रा द्वारा की गई सरस्वती वंदना एवं अजय विश्वरूप द्वारा संस्कार भारती के ध्येय गीत की  प्रस्तुति के साथ संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ। तत्पश्चात् पुस्तक परिचय श्रृंखला के क्रम में सर्वप्रथम डॉ. रमा सिंह गुना अध्यक्ष भारतीय हिन्दी साहित्य सभा ने डॉ.  रविन्द्र शुक्ल द्वारा  रचित दोहा-संग्रह "संजीवनी" का सारगर्भित परिचय देते हुए बताया कि कवि ने अपने दोहों में मानवीय संवेदनाओं बहुत प्रभावी और मर्मस्पर्शी के वर्णन किया है ।मानव जन्म से नहीं, कर्म से महान बनते है । द्वितीय पुस्तक का  परिचय राजवीर खुराना साहित्य विधा प्रमुख  डबरा इकाई  ने राकेश  मैत्रेयी द्वारा रचित कविता संग्रह "हम पंछी हैं आदमी नहीं" का दिया। 
कार्यक्रम की प्रस्तावना संस्कार भारती मध्य भारत प्रान्त की प्रान्तीय साहित्य विधा प्रमुख  कुमकुम गुप्ता ने देते हुए बताया कि  संस्कार भारती ललित कलाओं की अखिल भारतीय संस्था है जिसका उद्देश्य कला और साहित्य के माध्यम से  राष्ट्र भाव का जागरण करना है । कोरोना काल में भी संस्कार एवं  संस्कृति का मंथन चलता रहे । इसी दृष्टि से  यह ऑनलाइन कार्यक्रम नवोदित साहित्यकारों के  लिए  एक अवसर है। संस्कार भारती  मध्य भारत प्रांत की मंत्री संगठन अनिता करकरे ने बताया कि 
प्रत्येक शनिवार को  संस्कार भारती द्वारा  नवोदित रचनाकारों में लेखन व वक्तृत्व कला-कौशल को विकसित करने की दृष्टि से साहित्य संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है । जिसमें पुस्तक परिचय और वरिष्ठ साहित्यकारों का मार्गदर्शन प्राप्त होता है।ऑनलाइन संगोष्ठी का  संचालन दुर्गा मिश्रा ने किया एवं सारनी इकाई के साहित्य विधा प्रमुख राजेन्द्र " राज" ने सभी सदस्यों  सहित आमंत्रित साहित्यकारों द्वारा  अपना अमूल्य समय देने के लिए आभार प्रकट किया।  इस अवसर पर  अंबादास सूने, राजेन्द्र प्रसाद तिवारी, मुकेश सोनी, विदिशा से बीएम शाक्य भोपाल से शुभम चौहान, विमल विश्वकर्मा, सुनीता यादव, आनंद नंदीश्वर एव डाली पंथी  उपस्थित थे ।
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