बैतूल/सारनी। कैलाश पाटिल
बैतूल जिला आदिवासी बहुमूल्य क्षेत्र है, साथ ही हमारा पूरा मध्यप्रदेश कृषि प्रधान देश है। 70% ग्रामीण लोग खेती पर ही निर्भर रहते हैं।
पूर्व में ही मुलताई विधायक सुखदेव पांसे, जिला उपाध्यक्ष तिरुपति एरुलु द्वारा मंहगाई के विरुद्ध आवाज उठाई थी। हितेश ने कहा कि मैं मध्यप्रदेश सरकार को अवगत कराना चाहता हूं कि जिस प्रकार तानाशाही द्वारा आपके केंद्र सरकार के माध्यम से किसानों के लिए फाँसी और जहर खाने का सौदा उत्पन कर रही है, वही एक ओर रबी के सीजन में डीएपी मूल्य 1200 रुपये था और कुछ समय मे ही खरीब सीजन में 1900 रुपये कर दिया है। मैं यह जानना चाहता हूं की किसानों के साथ ऐसा बर्ताव क्यो किया जा रहा। ये किसान अन्नदाता लोग है हमे भोजन करवाते है। ये डेढ़ गुना राशि बढ़ाने का मतलब क्या है? वैसे ही अभी कोरोना कॉल में हमारे किसानों को उनकी फसल के अच्छे दाम नही मिले और नहीं उनकी कोई उचित व्यवस्था की गई थी। आर्थिक कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। किसान अभी इन सब आर्थिक तंगी से गुजर ही रहा था और ऊपर से तानाशाही सरकार ने उन पर ये DAP के दाम बड़ा कर एक तानाशाही सरकार का पुख्ता सबूत दे दिया। DAP के बढ़े हुए दामों से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मानो केंद्र सरकार ने किसानों से किसान आंदोलन का बदला ले लिया हो। हितेश ने इस ततकालीन सरकार से आग्रह किया है की DAP की बड़ी हुई कीमतों के मूल्य कम किया जाए।