होंशगाबाद:-(योगेश सिंह राजपूत) कोरेाना संक्रमण को लेकर लगे लाकडाउन के कारण लगातार दूसरे साल अक्षय तृतीया जैसे स्वयं सिद्ध शुभ मुहुर्त पर शहनाई की गूंज सुनाई नहीं दी। इस मुहुर्त पर शादी करने को लेकर लोग कई दिनों से उत्साहित रहे लेकिन लाकडाउन के कारण उनकी पूरी तैयारियां रखी रह गईं।
अक्षय तृतीया को शास्त्रों में विशेष स्वयं सिद्ध मुहुर्त माना है। यही वजह है कि लोग शादी के लिए इस दिन का विशेष तौर पर इंतजार करते हैं। इस बार भी अक्षय तृतीया को लेकर लोगों में उत्साह था और उन्होंने महीनों पहले से शादी की तैयारियां शुरू कर दी थीं। बैंडबाजा से लेकर मंडप और स्थल सभी कुछ एडवांस में बुक हो चुका था लेकिन इसी बीच कोरोना संक्रमण को लेकर लगातार लगाये जा रहे लाकडाउन के कारण लोगों को अपनी तैयारियां स्थगित करनी पडी। आप को मालूम है कि पिछले साल भी इन्हीं दिनों लगे लाकडाउन के कारण अक्षय तृतीया पर शादियां नहीं हो पाईं थीं।
जिसके चलते सूना रहा सराफा अक्षय तृतीया के एक सप्ताह पहले से ही बाजारों में भीड नजर आने लगती थी। खासतौर पर आज के दिन तो सराफा बाजार में पैर रखने की जगह भी नहीं होती थी, लेकिन इस बार सभी बाजार सूने नजर आये। लाकडाउन के कारण सराफा में दुकानें तक नहीं खुलीं।
शोभायात्रा भी नहीं निकली अक्षय तृतीया पर भगवान परशुराम का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है। इसको लेकर शहर में हर साल विशाल शोभायात्रा निकलती है लेकिन इस दफा शोभायात्रा प्रतिबंधित रही। हालांकि लोगों ने घर और मंदिरों में उनका पूजन किया। अक्षय तृतीया का क्या है महत्व अक्षय तृतीया वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि को मनाई जाती है। माना जाता है कि इस दिन कोई भी शुभ कार्य करने के लिए पंचाग देखने की जरूरत नहीं है। अक्षय तृतीया पर किए गए कार्यों का कई गुना फल प्राप्त होता है। इसे अखतीज के नाम से भी जाना जाता है। पुराणों में बताया गया है कि यह बहुत ही पुण्यदायी तिथि है इसदिन किए गए दान पुण्य के बारे में मान्यता है कि जो कुछ भी पुण्यकार्य इस दिन किए जाते हैं उनका फल अक्षय होता है यानी कई जन्मों तक इसका लाभ मिलता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु के छठें अवतार माने जाने वाले भगवान परशुराम का आज के दिन जन्म हुआ था। परशुराम ने महर्षि जमदाग्नि और माता रेनुकादेवी के घर जन्म लिया था। यही कारण है कि अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु की उपासना की जाती है। इसदिन परशुरामजी की पूजा करने का भी विधान है।