बैतूल/सारनी। कैलाश पाटिल
पाथाखेड़ा क्षेत्र अति सूरक्षित कोयला खनन क्षेत्र होने के बाद भी गैर पेशेवर प्रबंधकों ने सूरक्षा का काल्पनिक भय का वातावरण बनाया और पाथाखेड़ा क्षेत्र की लगातार बंद होती कोयला खदानों ने क्षेत्र को तबाही की ओर धकेल दिया है। राजेश सिन्हा
,राष्ट्रीय संगठन मंत्री इंटक ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से बताया कि
अभी हाल ही में शोभापुर खान एवं सारनी माइन कोयला खदान बंद करने की आधिकारिक घोषणा क्षेत्रीय प्रबंधन द्वारा कर दिया गया है किंतु पाथाखेड़ा क्षेत्र की बंद की गई कोयला खदानों ने अपने डीपीआर (डीटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) के अनुसार अपने निर्धारित उत्पादन लक्ष्य को पूरा किए बिना ही वे.को.ली. प्रबंधन ने इन कोयला खदानों को षडयंत्र पूर्वक बंद कर दिया। इनमें पाथाखेड़ा क्षेत्र की पीके वन खदान के अपर सीम की माइनिंग किए बिना ही बंद कर दिया गया, साथ ही साथ पीके वन खदान के एक बड़े क्षेत्र का डीपलेरीन्ग भी नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि उक्त डीपलेरीन्ग का प्रयास तत्कालीन उपक्षेत्रीय प्रबंधक श्री नंदी द्वारा किया जा रहा था किंतु श्री नंदी का आनन-फानन में स्थांतरण अन्यत्र कर दिया गया। वही पीके वन के तत्कालीन सर्वेक्षण अधिकारी श्री रायजादा के अनुसार पीके वन खदान के अपर सीम से कोयला खनन किया जा सकता था जिससे पीके वन खदान से लगभग 10 से 12 वर्ष तक और कोयला उत्पादन लिया जा सकता था। श्री रायजादा द्वारा पीके वन खदान के अपर सीम का कोयला खनन संबंधी विस्तृत रिपोर्ट प्रबंधन को सौंपा था , किन्तु श्री रायजादा द्वारा अपर सीम के कोयला खनन संबंधी विस्तृत एक्शन प्लान प्रबंधन को सौपते ही प्रबंधन ने आनन-फानन में श्री रायजादा का स्थानांतरण अन्यत्र कर दिया। इसी तरह सतपुड़ा वन एवं सतपुड़ा टू खदान के एक बड़े क्षेत्र का डीपलेरीन्ग किया ही नहीं गया और सतपुड़ा वन और सतपुड़ा टू खदान बंद कर दिया गया जिससे लगभग 5 से 8 वर्ष कोयले का उत्पादन और लिया जा सकता था। इसी तरह षडयंत्र पूर्वक क्षेत्र की कोयला खदानों को बंद करने का क्रम आगे बढ़ने लगा और वर्तमान में शोभापुर खान और सारनी माइन कोयला खदान को बंद करने का आधिकारिक आदेश जारी कर दिया गया किंतु चार वर्ष पूर्व पाथाखेड़ा क्षेत्र के तत्कालीन क्षेत्रीय महाप्रबंधक श्री झींक्यानी ने सारनी माइन कोयला खदान में नवाचार प्रारंभ किया और रेलवे लाइन के नीचे क्रॉस खनन पद्धति से डीपलेरींग का कार्य सफलतापूर्वक करते हुए कोयला उत्पादन किया , और श्री झींक्यानी ने सारनी माइन के लोअर एरिया में फ्लाई एस स्टोइन्ग का प्रयोग प्रारंभ किया ही था कि आनन-फानन में श्री झींक्यानी का स्थानांतरण अन्यत्र कर दिया गया और नवागत क्षेत्रीय महाप्रबंधक ने सारनी माइन के फ्लाईएस स्टोइंग प्रोजेक्ट को बंद कर दिया ,यदि श्री झींक्यानी के द्वारा सारनी माइन में फ्लाई एस स्टोइन्ग का प्रयोग सफल रहता तो सारनी माइन कोयला खदान से अगले 10 से 15 वर्ष तक कोयला उत्पादन लिया जा सकता था !
किन्तु गैर पेशेवर प्रबंधकों द्वारा बेतरतीब कोयला खनन कर पाथाखेड़ा क्षेत्र की कोयला खदानों को तबाह करने के साथ-साथ खदान के डीपीआर में निर्धारित कोयला उत्पादन के लक्ष्य को प्राप्त किए बिना कोयला खदानों को बंद करने से ना सिर्फ पाथाखेड़ा क्षेत्र तबाही की ओर जा रहा है बल्कि मध्यप्रदेश राज्य को करोडो रूपए की राजस्व की हानि हुई है और देश को ऊर्जा की हानि हुई है।