कोरोना की दूसरी लहर शहरों में लॉकडाउन लगने के बाद गांव लौट रहे प्रवासी मजदूर, लेकिन क्वारंटाइन सेंटर की सुविधा होश्ंागाबाद:- (योगेश सिंह राजपूत) कोरोना की दूसरी लहर में कोविड-19 कर्फ्यू और लॉकडाउन के बाद प्रवासी मजदूर एक बार फिर गांवों में लौटे रहे हैं। लेकिन, गांवों में कोई क्वारंटाइन सेंटर की सुविधा नहीं है। इससे ग्रामीण भारत में कोरोना संक्रमण के तेजी से फैलने की संभावना बढ़ गई है। कोरोना की दूसरी लहर शहरों में लॉकडाउन लगने के बाद गांव लौट रहे प्रवासी मजदूर, लेकिन क्वारंटाइन सेंटर की सुविधा कहां है? अगर प्रवासी मजदूरों को बिना कोरोना जांच और क्वारंटाइन किए छोड़ दिया जाता है तो ये प्रवासी मजदूर गांवों में कोविड-19 मामलों की संख्या में बढ़ोत्तरी कर सकते हैं। शहरों से लौटने वाले लोगों को अलग करने के लिए गांव में कोई क्वारंटाइन सेंटर नहीं था। शहरों में कोरोना वायरस महामारी को नियंत्रित करने के लिए लॉकडाउन लगाया गया है। प्रवासी मजदूर शहरों से लौटकर अपने गांवों में जा रहे हैं। लेकिन, इस बार गांवों में कोई क्वारंटाइन सेंटर नहीं बनाया गया है। आपको बता दें कि पिछले साल प्रवासी मजदूरों के लिए गांवों में क्वारंटाइन सेंटर बनाए गए थे।
[10/5, 20:04] योगेश सिंह राजपूत: ग्रामीणो में जागरुकता के अभाव और भ्रम के कारण जांच करवाने, टीका लगवाने में हिचक रहे लोग
होश्ंागाबाद:-( योगेश सिंह राजपूत ) कोरोना ग्रामीण भारत में बढ़ता जा रहा है। गांवों से लगातार मौत की खबरें मिल रही हैं। लोगों को सर्दी, बुखार, खांसी जैसे कोरोना के लक्षण हैं बावजूद इसके ज्यादातर जगहों पर लोग कोविड-19 जांच और टीकाकरण से पीछे हट रहे हैं, एक वर्ग को अभी भी लगता है उन्हें कोरोना नहीं हो सकता। ग्रामीणो में जागरुकता के अभाव और भ्रम के कारण जांच करवाने, टीका लगवाने में हिचक रहे लोग टीकाकरण को लेकर ग्रामीणों में कई तरह के भ्रम हैं। गांव में कई लोग बीमार हैं, लेकिन कोई जांच नहीं करवा रहा है। लोगों को डर है कि जांच कराने से कोरोना हो जायेगा। लोग टीका भी नहीं लगवा रहे हैं। शुरू में तो गांव के आधे से ज्यादा लोगों ने टीका लगवा लिया था, लेकिन उसके बाद कई लोगों को बुखार आ गया है। अब बाकी के बचे लोगों को लगता है कि टीका लगवाने से उन्हें भी बुखार हो जायेगा, इस कारण लोग टीका नहीं लगवा रहे हैं। लोगों में जागरुकता की कमी है। मेडिकल स्टोर से कोई भी दवा लेकर खा ले रहे हैं। बड़ी बात तो यह है कि इन सब मामलों को लेकर गांवों में किसी भी तरह का जागरुकता कार्यक्रम भी नहीं चल रहा। लोग सर्दी खांसी से पीड़ित हैं, लेकिन जांच इसलिए नहीं करा रहे हैं कि अगर कहीं कोरोना निकल आया तो लोग उनसे दूरी बना लेंगे। लोग भ्रम के कारण टीका भी नहीं लगवा रहे। कोविड का टीका लगने के बाद कई लोगों को बुखार आ जाता है। इसीलिए स्वास्थ्यकर्मी टीका लगाने के बाद व्यक्ति को पेरासिटामोल देते और हैं कहते हैं कि अगर जरूरत लगे तो खा लेना। डॉक्टरों के मुताबिक किसी भी तरह के टीके के बाद बुखार आना सामान्य बात है। लेकिन इस बुखार को लेकर कोरोना से जोड़कर देख रहे हैं। लोगो को जागरूक और प्रचार की आवश्यकता हैं वाटशाप और अन्य सोशल मीडिया में फैली भं्रातियो को मिटाना चाहिए । इसके लिए जागरूक लोगो को सतत् प्रयास करना चाहिए।