बैतूल/सारनी। कैलाश पाटिल
भारतीय जनता पार्टी अनुसूचित जाति मोर्चा मंडल महामंत्री प्रकाश डेहरिया ने कहा की चुनाव भारतीय जनता पार्टी ने भी जीते हैं और देश और दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है। सबसे ज्यादा राज्यों में सरकार भी है सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के मुखिया हमारी पार्टी से है। डेहरिया ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से बताया कि टीएमसी सरकार तो बस 5 साल की है और इन हरकतों से तो 5 साल भी नहीं चलने वाली। इतने बड़े देश के 1 राज्य में चुनाव जीतकर अगर ममता इतनी अराजकता मचा सकती है, अगर गलती से तीन चार राज्यों में इनकी सरकार हो जाए तो भारत को बर्बाद ही कर देंगे। उन्होंने कहा कि तुम ममता नहीं तुम निर्ममता की निशानी हो। बंगाल में गत तीन दिनों से लगातार चल रही हिंसा, आगजनी, लूटपाट, धमकि तथा राजनैतिक विद्वेष पूर्ण हमलों ने सम्पूर्ण देश को ना सिर्फ शर्मसार किया है अपितु लोकतांत्रिक मर्यादाओं को भी तार-तार किया है। राज्य में मतगणना के दौरान प्रारंभ हुए अनेक प्रकार के अनवरत हमलों पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा मंडल महामंत्री प्रकाश डेहेरिया ने कहा कि बंगाल में भाजपा कार्यकर्ता भयाक्रांत है और जिनके पास राज्य की कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी है वे अपनी आँखें मूँदे बैठे हैं। राज्य के लगभग हर हिस्से से लगातार यही खबरें आ रही हैं कि भाजपा कार्यकर्ताओं के घरों, मंदिरों, बस्तियों, बहिन-बेटियों व व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को समाज-कंटक टीएमसी के गुंडे सरेआम हिंसा, आगजनी व लूटपाट का शिकार बना रहे हैं। अनेक कार्यकर्ताओं को राजनैतिक प्रतिद्वंदियों द्वारा लगातार धमकियाँ भी दी जा रही हैं तथा इन सब मामलों में स्थानीय पुलिस-प्रशासन मूक दर्शक बन तमाशा देख रहा है। ये हिंसा अब तक एक दर्जन से अधिक लोगों की जान ले चुकी तथा अनेक घर, दुकानें, मंदिर, बस्तियां व व्यावसायिक प्रतिष्ठान स्वाह हो चुके हैं। हिंसा की शिकार हुतात्माओं के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए अनुसूचित जाति मोर्चा महामंत्री ने मांग की कि राज्य शासन हिंसा के तांडव को अबिलंब रोक कर दंगाइयों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करे।
राज्य सरकार के उदासीन रवैए को गंभीरता से लेते हुए अब केंद्र सरकार भी यथोचित कार्यवाही करे। जहां सुरक्षा-बल तक सुरक्षित ना हों वहाँ सामान्य नागरिकों का क्या हाल होगा, यह आसानी से समझा जा सकता है। वर्तमान शासन व राजनैतिक नेतृत्व द्वारा क्षुद्र राजनैतिक विद्वेष से अपने ही नागरिकों पर हो रहे भीषण अत्याचारों पर मूक दर्शक बन मुंह मोड लेना हिंसा को बढ़ावा देने से कम नहीं है।