पक्षियों की मदद करना भी हमारी जिम्मेदारी
पक्षियों की मदद करना भी हमारी जिम्मेदारी

जबलपुर, नईदुनिया रिपोर्टर। कोरोना संकट के दौरान जहां अपने ही साथ छोड़ रहे हैं, लोग अकेलापन महसूस कर रहे हैं, वहीं इन सभी के बीच ऐसे भी लोग है जो अनजान व्यक्तियों की मदद के लिए हर संभव कोशिश करते नजर आ रहे हैं। कोरोना ने अपनों की सही पहचान कराई है, लेकिन इस दौरान इस बात को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि कोरोना काल ही ऐसा समय है जब लोगों ने अपनी मानवीयता का खास परिचय दिया है। फिर चाहे बात इंसानों की मदद की हो या फिर पशु-पक्षियों की।
शहर में इन दिनों लोगों के घरों के बाहर व छत पर सकोरो बंधे हुए नजर आ रहे हैं। इसका मतलब यही है कि लोग लाकडाउन और बढ़ती गर्मी के कारण पक्षियों का भी ध्यान खूब रख रहे हैं। यही वजह है कि लोगों को एक-दूसरे से प्रेरणा मिल रही है कि उन्हें किसी भी तरह से इस लाकडाउन में एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ना है। भले ही हो इंसान हो या पशु पक्षी। लाकडाउन के कारण सड़के सूनी हो गई है। इसकी कमी सिर्फ मानवों को नहीं खल रही है, बल्कि पक्षियों और सड़क पर रहने वाले पशुओं को भी खल रही है।
उन्हें भी दाना-पानी नहीं मिल पा रहा है। उनकी मदद के लिए कोई सड़कों पर जाकर पशुओं को भोजन खिला रहा है, तो कोई सकोरे बांध कर पक्षियों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था कर रहा है। इसी कड़ी में माॅ रेवा सेवा समिति संस्था द्वारा वृक्षों और छतों पर सकोरे बांधे गए है। पशु-पक्षी सेवा का यह कार्य एक माह तक लगातार चलता रहेगा। इस अवसर पर हरीश राजपूत, राजेन्द्र पुरी गोस्वामी, बिब्टू राजपूत, अंशुल पंडित संतोष वेष्णव राकेश सिंह महेश यादव, कृपाल जादम आदि उपस्थित रहे।