होशंगाबाद:- होष्ंागाबाद संभाग ही नही पुरे देष मे बिजली को तो हवा पानी का बहाना चाहिए। यदि हल्की बारिश भी हो रही हो या फिर सामान्य से कुछ ज्यादा हवा चलती है तो बिजली गुल होना कोई विशेष बात नहीं है। ऐसा अब हर उपभोक्ता कहने लगे हैं कि बिजली कंपनी वाले तो हवा का रूख देख कर ही कटौती कर देते हैं। कभी-कभी तो बिना हवा पानी के भी बिजली चली जाती है। ऐसा हर शहरो में अनेक हिस्सों में होता रहता है सुबह तो मौसम साफ था लेकिन फिर भी तीन बार बिजली की आंख मिचैली होती रहती। फिर शाम को जब मौसम गड़बड़ हुआ तो फिर बिजली चली गई। घोषित कटौती तो ठीक है उसमें कुछ काम हो जाता है। लेकिन बिना काम के ही बिजली चली जाती है। तब लोगों में नाराजगी बनती है। क्योंकि जब शाम के समय बिजली चली जाए तो नल से पानी की दिक्कत होती है क्योंकि बिना मोटर के पानी नहीं मिल पाता है। बुधवार को शाम को जैसे ही हवा चली तो बिजली गुल हो गई जो कहीं 10 मिनट बाद आ गई कहीं आधे घंटे में आई। लोगों के आवश्यक कार्य में व्यवधान उत्पन्न हो जाता है।
रखरखाव का कार्य अधूराः अभी तो पूरी गर्मी बाकी है। बिजली कंपनी के द्वारा अभी रखरखाव का कार्य शुरू ही हुआ है। जिसके चलते अलग अलग क्षेत्रों में बिजली की घोषित कटौती की जा रही है। बिजली कंपनी के द्वारा एक क्षेत्र में कई घंटे तक कटौती की जाने से लोगों के कार्य रुक जाते हैं। अब तो उपभोक्ता ने बिजली कंपनी से मांग की है कि कंपनी रखरखाव के कार्य को दिखावा नहीं करते हुए एक अभियान की तरह करना चाहिए और एक स्पेशल टीम को लगाकर एक क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा से 1 घंटे ही कटौती की जाए। इससे अधिक कटौती गर्मी के मौसम में असहनीय हो जाती है। आखिर कटौती भी क्यो शासन ने लाखो करोडो अरबो रूपये केबिल लाईन बिछा दी है फिर क्यो कटौत्री फिर क्यो हरे भरो पेडो को काटते है फिर इस तरह से उन्हे काटा जाता है कि वे दोबारा पनपने के काबिल भी नही रह जाते है और हजारो लाखो रूपये से लगाये पेड उनकी कटोती की भेट चढ जाते है आखिर क्यो नही दूसरा उपाय निकाला जाता है जिससे यह हरे भरे वृक्ष कटने से बच सके और इनकी कटोती के आगे बलि ना चढ सके। आखिर कब होगा कटोती के नाम पर पेडो की कटाई छटाई का काम बंद आखिर भयानक महामारी के चलते भी आज अगर हम प्रर्यावरण को नही बचा सके और ऐसे अंधाधुध कटाई का विरोध समाज नही कर पाया तो दूर नही वह दिन जब हम शुद्ध हवा के लिए तरस जायेगे।