प्रकृति के प्रकोप का इतना डर की पेड़ों पर हो रहा अत्याचार*
*प्रकृति के प्रकोप का इतना डर की पेड़ों पर हो रहा अत्याचार* एमपीएमकेवीवीसीएल के अधिकारियों ने पाताखेड़ा बस स्टैंड के पास सड़क से सटे सारे पेड़ जो की मेन लाइन से टकरा रहे थे उनकी टहनी काटने का  अभियान चालू किया करीब 25 से ज्यादा पेड़ों की मोटी मोटी कहानियां को काटा गया देखा गया काटने के समय उन अधिकारियों से पूछा गया तब उन्होंने कहा की इस समय आंधी और तूफान का मौसम आए दिन बना हुआ है जिससे मेन लाइन पर बड़ी-बड़ी डालें टकराकर मेन लाइन के वायरो को नुकसान पहुंचा कर तोड़ देती है इसलिए इन पेड़ों की छटनी करना जरूरी है सात लोगों ने मिलकर छटाई का काम शुरू किया पर क्या छटाई करने से ही बड़ी लाइनों को नुकसान नही पहुंचेगा और इतने पेड़ों की टहनियां काटने से प्रकृति में नुकसान नहीं होता है हमारा मानना ऐसा है कि जितनी छटींग आप करेंगे उतने पेड़ लगाने चाहिए तभी मानव जीवन सुरक्षित रह पाएगा मानव जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण ऑक्सीजन और ऑक्सीजन इन्हीं पेड़ों पर द्वारा मिलती है यह तो हम सभी को पता भी है फिर भी इतनी मात्रा में पेड़ों की काट छाट करना कोई समझ दारी तो नही इन बडे पेडो को छाटने के बाद पुर्ण रुप से इनको बर्बाद कर देना उचित नहीं लगता है ऐसी कार्रवाई करने से पहले जितने पेड़ों की टहनियां काटी जाए उतने पेड़ लगाने का भी प्रावधान सरकार को इन अधिकारियों को देना चाहिए क्योंकि लाइन के वायर बदले जा सकते हैं लेकिन कटी हुई टहनियों को वापस पेड़ों में जोड़ा नहीं जा सकता