जीर्णोद्धार को तरस रहा उपेक्षित रीधू तालाब।
सुध नहीं लेने से हुआ अतिक्रमण का शिकार।
शिव भिंयाड़। प्राचीन काल से अब तक आस्था का केन्द्र के रुप में विख्यात और मशहूर प्रखंड व एक एकड़ में फैला दरिया रिधू तालाब आज खुद अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। यह तालाब सैकड़ों वर्ष पुराना गांव की ही रीधू बाईसा के द्वारा ग्रामीणों की भलाई के लिए खुदवाया गया था।
यह तालाब पूर्व में दर्जनों गॉव ढाणियों की प्यास बुझाया करता था।
जो आज भी लगभग एक एकड़ के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। जो अब बबूल की झाड़ियों से घिर गया है। और तालाब के पास आगौर की जमीन भी अतिक्रमण की भेंट चढ़ गई है। जो सैकड़ो वर्ष पूर्व, प्राणियों की प्यास बुझाने वाला तलाब आज बदहाली का शिकार हो गया है। गांव के बुजुर्गों का कहना है कि यह तालाब एक जमाने में काफी प्रसिद्ध था। करीब 50 फीट गहरे तालाब का पानी बिल्कुल स्वच्छ एवं निर्मल रहता था। लेकिन आज यह बदहाली को समर्पित हो रहा है। जिस तालाब का पानी पीने के अलावा लोक आस्था के पर्व छठ, शिवरात्रि, रामनवमी, दशहरा एवं गणेश विसर्जन के मौके पर भी काम आता था। बदहाली की हालत देख एक बार साफ-सफाई का जिम्मा सेवानिवृत्त डीवाईएसपी हेतु दान बाहरठ ने उठाया हैं। जिन्होंने जेसीबी की मदद से पूरे तालाब का जीर्णोद्धार करने के लिए अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई से पूरे तालाब को साफ किया जा रहा है। साथ ही जीवणदान बाहरठ व दमाराम पुनिया का भी सहयोग रहा हैं। सेवानिवृत्त डीवाईएसपी का कहना है की भामाशाह व ग्राम पंचायत इस रिधू तलाब की सुध ले। जिससे यह पूर्व की भांति यह जल स्रोत कई प्राणियों की प्यास बुझा सके।
समय के साथ बदली व्यवस्थाएं।
पहले हर गांव में बड़ा मार्केट या आटा चक्की भी नहीं थी। इसी बाजार में इन सभी चीजों की सारी व्यवस्थाएं मौजूद थी। लेकिन, जैसे-जैसे समय बदला। वैसे वैसे इस तालाब का अस्तित्व समाप्त होने लगा। ग्रामीण जीवन दान ने बताया कि इस तालाब का अस्तित्व बहुत दूर-दूर तक था। यहां दूर के लोग आते थे इसकी एक अलग पहचान थी। आज भी इस तालाब का किनारा इसका गवाह है। इस तालाब में पिछले कई वर्षों से देखते आए हैं, की कभी पानी नहीं सुखा ।
ग्रामीण गोवरधन दान ने बताया कि हमलोग अपने बचपन के दिनों में इस तालाब में खूब उछल कूद किया करते थे। इसका पानी बेहद स्वच्छ रहता था। साथ ही बताया कि जल संरक्षण के लिए रीधू तालाब के साथ और भी नए तालाबों की खुदाई जरूरी है। ताकि भूमिगत जलस्तर बना रहे।
शिव से मूलाराम चौधरी की रिपोर्ट