लापरवाही की भीड़ क्यो ? जिला अस्पताल में जाॅच कराने आये या संक्रमित होने ।
न्यूज एसीपी नेटवर्क की खास खबर
होषंगााबद। लापरवाही की भी हद हो गई ये मंजर देखने को जरा एक पल ठहरिए देखिये। तबाब कोषिष क्यो फैल हो रही है जरा सोचिए ? बताइए कि आखिर ऐसी भीड़ क्यों ? लोग इसका हिस्सा क्यों बन रहे हैं। जांच कराकर बेफिक्र हो जाना चाहते हैं या शारीरिक दूरी भूलकर यहां खुद संक्रमित होने आए हैं। हर बार 24 घंटे एक ही बात बार-बार कही जा रही, कोरोना के वायरस से बचना है, तो दूरी रखें। लाकडाउन की सख्त पाबंदियां भी केवल इसी भीड़ को रोकने के लिए लगाई गई हैं, जो आप और हम सभी के लिए कठिन दौर बना हुआ है। फिर भी इस तरह नियमों को तोड़कर सारी कोशिशों पर मिट्टी डालने की लापरवाही घूम-फिर कर किसके जीवन पर भारी पड़ेगी, अक्ल का इस्तेमाल कर थोड़ा सोच तो लीजिए। जो भीड दिखाई देती लापरवाही की यह भीड़ जिला अस्पताल परिसर में स्थित कोरोना जांच सैंपल कलेक्शन बूथ की है, जहां हर रोज सैकड़ों लोग पहुंचते हैं और इसी तरह भीड़ लगाकर खड़े हो जाते हैं। शारीरिक दूरी का जो नियम प्रोटोकाल में इसलिए शामिल किया गया है, ताकि संक्रमण की चेन एक से दूसरे व्यक्ति में न पहुंचे, उसे ही यहां खुलेआम अनदेखा कर दिया जा रहा है। किसी प्रकार की सर्दी-खांसी या बुखार जैसे कोरोना के लक्षणों पर अपनी जांच कराने लोग यहां हर रोज बड़ी संख्या में आते हैं। पर सोचने वाली बात यह है कि संक्रमण की चपेट में आने का जो डर लेकर वे यहां आते हैं, भीड़ में खड़े होने के बाद वही डर भूल जाते हैं कि उनके दिए सैंपल की जांच रिपोर्ट निगेटिव रही और वे स्वस्थ हुए, तो इस भीड़ का हिस्सा बनकर किसी संक्रमित के संपर्क में आने से बाद में खुद ही कोरोना की चपेट में आ सकते हैं। इन सब बातों को दरकिनार कर जहां लोग नियमों की धज्जियां उड़ा रहे, अस्पताल प्रबंधन भी उन्हें व्यवस्थित करने की बजाय रोज तमाशा देखता रहता है। आखिर मानवता और जिम्मेदारी यहाॅ पदस्थ कर्मचारीयो की खत्म हो गई है लंबी व भीड़ से भरी कतारों में लोगों को शारीरिक दूरी का नियम तोड़ते रहते है । आखिर क्यो ?
पूरा देष व समस्त प्रषासन एक साल से रट रहे नियम, मनमानी नहीं छूटी पिछले साल मार्च में कोरोना का कहर शुरू हुआ था और इस बात को एक-एक माह गुजरकर एक साल से भी अधिक समय हो चुका है। कोरोना की रोकथाम और नियंत्रण के लिए बनाए गए दिशा-निर्देशों को रटाते-रटाते शासन-प्रशासन व तमाम शासकीय-अशासकीय तंत्र थकते फिर रहे पर लोग हैं कि न तो समझने को तैयार हैं और न ही मानना चाहते हैं। ऐसी मनमानी कर आखिर खुद को और अपने परिवार को ही नुकसान पहुंचाएंगे, लोग आपस में इतने करीब है कि एक-दूसरे की सांसें महसूस होती है । जिला अस्पताल परिसर में बनाए गए बूथ के बाहर लोग एक-दूसरे से इतनी करीब खड़े हो जाते हैं, कि सांस तक महसूस होने लगे। मास्क और शारीरिक दूरी इसी लिए है, ताकि संक्रमित व्यक्ति की बीमारी किसी स्वस्थ्य को रोगी न बना दे। कोरोना संक्रमण की शंका लिए लोग बडी संख्या में शासकीय अस्पताल पहुंच रहे। पर अस्पताल प्रशासन की ओर से इस भीड़ को नियंत्रित-व्यवस्थित करने के लिए कोई खास इंतजाम नहीं किए गए हैं। शासन के निर्देश पर नगर निगम, जिला प्रशासन, राजस्व विभाग व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बस स्टैंड, उचित मूल्य की दुकान, रेलवे स्टेशन व मेडिकल स्टोर में दूरी का गोला खुद खड़े रहकर बनवाया, लेकिन इस सरकारी जांच केंद्र में हाॅस्पिटल प्रबंधन ने समुचित व्यवस्था करना जरूरी नहीं समझा गया।
समय-समय पर पुलिस व निगम अमला कार्रवाई भी कर रहा, ताकि लाकडाउन का पालन सुनिश्चित किया जा सके। वही दूसरी ओर जिला अस्पताल परिसर में कोरोना टेस्ट की शासकीय प्रक्रिया में ही लाकडाउन का खुले आम उल्लंघन हो रहा और निगरानी कर रहे जिम्मेदार चुप हैं। आखिर करोनी की जंग कैसे जीत पायेगे कारोना पर रोक कैसे लगा पायेगे गैर जिम्मेदार और लापरवाह अधिकारीयो पर सख्त कार्यवाही क्यो नही ?