चमोली उत्तराखंड। बैशाखी के पर्व से
पिंडर घाटी के गांवों व कस्बों में होने वाले मेलों का आगाज बुधवार को नारायणबगड़ के पंती और थराली के कुलसारी मेले से हो गया है। इसी के साथ बैशाखी का पर्व धूमधाम से मनाया गया। रिपोर्ट केशर सिंह नेगी। जहां पूरे विश्व में कोरोना महामारी पांव पसार चुकी है वहीं भारत भी अछूता नहीं है यहां भी कोरोना का ग्राफ दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है वही कोरोना के सभी गाइडलाइन का पालन करते हुए पिंडर घाटी में वैशाखी के पर्व से चलने वाले मेलों का आयोजन शुरू हो गया है देवभूमि उत्तराखंड का जनमानस अपने देवी देवताओं के साथ अपनी पारंपरिक सांस्कृतिक विरासत को संजोए हुए है।पिंडर घाटी में बैसाखी के पर्व से शुरू होने वाले मेलों के पहले दिन कुलसारी में कुलसारी महादेव, मलयाल देवता, मां कुंवारी के पश्वा व देवताओ के ध्वज निशानों ने बाजे गाजों के साथ मेलमिलाप कर एक साथ पिंडर नदी में गंगा स्नान किया। वहीं आज ही के दिन नारायणबगड़ के पंती में मीगेश्वर महादेव , मालेश्वर महादेव , मृत्युंज्यमहादेव ,कोबेश्वर महादेव की डोली, नीलाड़ी कालिंगा की डोली व निशान के मिलन के साथ गंगा स्नान कर पूजा-अर्चना की गई। 15 अप्रैल को माल गांव में मालेश्वर महादेव,मींग गांव में मीगेश्वर महादेव के मेले का आयोजन किया जाएगा। 16 अप्रैल को कोब में कोबेश्वर महादेव व खैनोली मेला का आयोजन होता है 17 अप्रैल को असेड में मृत्युंजय महादेव और 18 अप्रैल को मलयाल थोक में मलीयाल तथा हंसकोटी मेले का आयोजन होगा। 27 अप्रैल को पूर्णिमा के दिन भटियाणा में मां कुंवारी मेले के साथ मेलों का समापन हो जाता है पिछले वर्ष इन मेलों को कोराना के चलते स्थगित करना पड़ा था लोगों ने सूक्ष्म रूप से ही अपने इष्ट देवताओं की डोली निशान सिमित लोगों के साथ गंगा स्नान करवाया था इस वर्ष भी कोरोना की गाइडलाइन का पालन करते हुए मेलों के आयोजन की अनुमति दी गई है ।