101 दिन किसानों के बीच रहेंगे संघ के स्वयंसेवक
101 दिन किसानों के बीच रहेंगे संघ के स्वयंसेवक

    13 अप्रैल से 24 जुलाई तक चलाया जाएगा भूमि संरक्षण अभियान

भोपाल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) के स्वयंसेवक 101 दिन गांवों में किसानों के बीच रहेंगे। इस दौरान वे किसानों को जैविक खेती (Organic farming) के लिए प्रोत्साहित करेंगे। जमीन और किसान (Farmer) से और व्यापक स्तर पर जुडऩे के लिए आरएसएस (RSS) 13 अप्रैल से 24 जुलाई तक भूमि संरक्षण अभियान (Campaign) शुरू करने जा रहे हैं। इस अभियान (Campaign) के तहत संघ गांव-गांव पहुंचकर भूमि संरक्षण का काम करेगा। इससे किसानों ने भी उसका सीधा जुड़ाव होगा। इसके लिए संघ ने बड़ी संख्या में अपने स्वयंसेवक भी तैयार कर लिए हैं। संघ सूत्रों का कहना है कि संघ की ओर से अब तक चलाए गए अभियानों में ये सबसे बड़ा अभियान है। ये अभियान मप्र (MP) सहित तमाम अन्य राज्यों में चलाया जाएगा। इस अभियान (Campaign) को भू संरक्षण का नाम दिया गया है, जो कई चरणों में चलेगा। मप्र में इस अभियान (Campaign) की व्यापक स्तर पर तैयारी की गई है।

मृदा संरक्षण की दी जाएगी जानकारी
आरएसएस (RSS) अपने इस भू-संरक्षण अभियान की शुरुआत गुड़ी पड़वा 13 अप्रैल से करेगा। इसके तहत सभी गांवों तक पहुंचकर एक भूमि पूजन का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। भूमि पूजन के बाद किसानों को मृदा संरक्षण के विषय में जानकारी दी जायेगी और उनसे अपने खेतों में उर्वरकों की जगह जैविक खादों का उपयोग बढ़ाकर कृषि में करने के लिए प्रेरित किया जायेगा। पहले चरण में यह अभियान 24 जुलाई को गुरुपूर्णिमा तक चलाया जायेगा।

रसायनों का नुकसान बताया जाएगा
करीब चार महीने तक चलने वाले प्रथम चरण में इस संगठन से जुड़े लोग ग्रामीण इलाकों में पहुंचकर किसानों को रसायनों से हो रही खेती के नुकसान समझाएंगे। उन्हें यह बताया जाएगा कि किस प्रकार रासायनिक खेती पहले तो उन्हें ज्यादा उपज का लालच देती है, लेकिन धीरे-धीरे यह उनके ही खेतों की उर्वरता नष्ट करती है। इस कार्यक्रम को शुरू करने के पीछे उद्देश ये है कि देश की मृदा का बहुत तेजी के साथ क्षरण हो रहा है, जिसे समय रहते बचाना बेहद आवश्यक है, अन्यथा एक समय ऐसा आएगा कि देश के सामने खाद्यान्न का संकट दोबारा खड़ा हो सकता है। इससे बचने के लिए खेतों में रसायनों का उपयोग घटाने और जैविक तरीकों से खेती को बढ़ावा देने की जरूरत है।